उत्तरकाशी में बादल फटने से मची तबाही, मासूम बच्ची ने खो दिए अपने माता-पिता


उत्तरकाशी की तबाही… मासूम बच्ची ने एक झटके में खो दिए अपने मम्मी-पापा 

उत्तरकाशी में बादल फटने से मची तबाही, मासूम बच्ची ने खो दिए अपने माता-पिता

उत्तराखंड एक बार फिर प्राकृतिक आपदा की चपेट में आ गया है। पहाड़ी राज्य उत्तरकाशी के धाराली क्षेत्र में बादल फटने से अचानक आई आपदा ने दर्जनों परिवारों को उजाड़ दिया। इस भयावह हादसे में कई घर मलबे में दब गए, लोग लापता हो गए और कई की मौत की पुष्टि हो चुकी है। लेकिन इस त्रासदी का सबसे दर्दनाक और दिल दहला देने वाला दृश्य वह था जब मलबे से एक मासूम बच्ची को तो सुरक्षित निकाल लिया गया, लेकिन उसके माता-पिता इस आपदा में जिंदगी की जंग हार गए।

बादल फटने का मंजर

गुरुवार तड़के अचानक धाराली क्षेत्र में आसमान से मानो आफत बरसी। थोड़े ही समय में इतनी भीषण बारिश हुई कि पहाड़ टूटकर बहने लगे। झरनों का पानी उफान पर आ गया और देखते ही देखते कई मकान, दुकानें और खेत मलबे में तब्दील हो गए। स्थानीय लोगों ने बताया कि कुछ ही मिनटों में चारों तरफ हाहाकार मच गया। लोग जान बचाने के लिए इधर-उधर भागने लगे, लेकिन कई लोग पानी और मलबे के बीच फंस गए।

प्रशासन के मुताबिक, यह क्लाउडबर्स्ट (Cloudburst) इतना तेज था कि बचाव दल को मौके पर पहुंचने में भी काफी मुश्किलें झेलनी पड़ीं। सड़कें टूट गईं, बिजली के खंभे गिर गए और संचार व्यवस्था ठप हो गई।

मासूम बच्ची की दर्दनाक कहानी

इसी आपदा के बीच एक ऐसी कहानी सामने आई जिसने हर किसी की आंखें नम कर दीं। राहत दल जब मलबे को हटाकर लोगों की तलाश कर रहा था, तब उन्हें मलबे के पास एक मासूम बच्ची मिली। वह सुरक्षित थी, लेकिन बार-बार रोते हुए अपने “मम्मी-पापा” को ढूंढ रही थी।

जब स्थानीय लोगों ने जानकारी जुटाई तो पता चला कि बच्ची के माता-पिता इस भीषण हादसे में जिंदा नहीं बचे। दरअसल, उनका घर सीधे मलबे की चपेट में आ गया था। राहत कर्मियों ने बच्ची को सुरक्षित बाहर निकालकर स्थानीय लोगों की देखरेख में दे दिया। लेकिन उस मासूम को अब तक यह पता भी नहीं है कि उसके माता-पिता हमेशा के लिए उससे दूर चले गए हैं।

इस घटना ने हर किसी का दिल पसीजा दिया। गांव के लोग बच्ची को गोद में लेकर उसे चुप कराने की कोशिश करते रहे, लेकिन बच्ची मासूमियत से यही पूछती रही – “मम्मी-पापा कहां हैं?”

रेस्क्यू ऑपरेशन जारी

बादल फटने के तुरंत बाद एसडीआरएफ, एनडीआरएफ और स्थानीय पुलिस की टीमों ने राहत-बचाव कार्य शुरू किया। अभी भी कई लोग लापता बताए जा रहे हैं। प्रशासन ने पूरे इलाके में अलर्ट जारी कर दिया है। भारी मशीनें लगाकर मलबा हटाने का काम किया जा रहा है।

उत्तराखंड सरकार ने मृतकों के परिजनों को आर्थिक सहायता देने की घोषणा की है और घायल लोगों के इलाज का पूरा खर्च उठाने का भरोसा दिलाया है। मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिया है कि प्रभावित परिवारों को तुरंत राहत सामग्री और सुरक्षित आश्रय मुहैया कराया जाए।

विशेषज्ञों की राय

मौसम विशेषज्ञों का कहना है कि पहाड़ी क्षेत्रों में क्लाउडबर्स्ट की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं। जलवायु परिवर्तन (Climate Change) और अनियंत्रित निर्माण कार्यों की वजह से ऐसे हादसों की तीव्रता और बढ़ गई है।

विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसे क्षेत्रों में पूर्व चेतावनी प्रणाली (Early Warning System) और बेहतर आपदा प्रबंधन की जरूरत है ताकि समय रहते लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया जा सके।

दर्द और सवाल

धाराली की यह घटना सिर्फ एक प्राकृतिक आपदा नहीं है, बल्कि उन दर्जनों परिवारों की करुण कहानी है जिन्होंने अपनों को खो दिया। सबसे बड़ा सवाल यह है कि उस मासूम बच्ची का क्या होगा जिसने अपनी जिंदगी की शुरुआत में ही सबसे बड़ा सहारा खो दिया है।

यह हादसा हमें यह सोचने पर मजबूर करता है कि पहाड़ों में रहने वाले लोग किस तरह हर पल आपदा के साये में जी रहे हैं। कभी भूस्खलन, कभी बादल फटना, कभी बाढ़ – इन प्राकृतिक त्रासदियों से न सिर्फ जानें जाती हैं बल्कि मासूम बच्चों का बचपन भी अंधेरे में डूब जाता है।

निष्कर्ष

उत्तरकाशी की यह घटना पूरे देश को झकझोर देने वाली है। एक तरफ सरकार और प्रशासन राहत-बचाव में जुटे हैं, वहीं दूसरी तरफ समाज में यह चर्चा भी है कि प्राकृतिक आपदाओं के बीच इंसानियत ही सबसे बड़ा सहारा बनती है।

आज उस मासूम बच्ची की आंखें पूरे समाज से सवाल कर रही हैं – “मेरे मम्मी-पापा कहां हैं?” और यह सवाल हर संवेदनशील इंसान के दिल को चीर रहा है।

यह हादसा हमें यह भी याद दिलाता है कि हमें प्रकृति से छेड़छाड़ कम करनी होगी और पहाड़ों के नाजुक पर्यावरण को बचाना होगा। वरना ऐसी त्रासदियां बार-बार मासूम जिंदगियों को निगलती रहेंगी।

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