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बुराड़ी विधानसभा टूटी सड़कें, भ्रष्टाचार और जनता की आवाज़ देखिए आज की दयनीय स्थिति |
बुराड़ी विधानसभा: भ्रष्टाचार की भेट चढ़ा इलाका, जनता बेहाल सड़कें टूटी, जिम्मेदारी लेने वाला कोई नहीं
दिल्ली की राजनीति में बुराड़ी विधानसभा हमेशा चर्चा में रहती है। राजधानी के उत्तरी हिस्से में बसा यह क्षेत्र आबादी, भूगोल और जनसंख्या की दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है। लेकिन अफसोस की बात यह है कि बुराड़ी आज भ्रष्टाचार, लापरवाही और प्रशासनिक उदासीनता की भेट चढ़ चुका है।
न तो यहाँ के विधायक जिम्मेदारी लेने को तैयार हैं और न ही नगर निगम पार्षद। हर बार चुनाव से पहले जनता को सपनों के सब्जबाग दिखाए जाते हैं, बड़े-बड़े दावे किए जाते हैं, लेकिन चुनाव खत्म होते ही सारा जोश ठंडा पड़ जाता है। नतीजा यह है कि आज बुराड़ी की हालत इतनी खराब हो चुकी है कि यहाँ रहना लोगों के लिए किसी चुनौती से कम नहीं है।
जनता से वादे, लेकिन हकीकत बिल्कुल उलट
हर विधानसभा चुनाव और एमसीडी चुनाव में यहां की जनता को ढेरों वादे सुनाए जाते हैं। कभी बेहतर सड़कें, कभी सीवर लाइन, कभी साफ-सफाई, तो कभी ट्रैफिक जाम से मुक्ति। लेकिन सच्चाई यह है कि आज के समय में बुराड़ी का कोई भी कोना ऐसा नहीं है जहां समस्याएं सिर न चढ़कर बोल रही हों।
- गलियों में गंदगी का अंबार
- टूटी हुई सड़कें और धंसी हुई बाउंड्री वॉल
- नालियों से फैली बदबू
- जलभराव की समस्या
- ट्रैफिक जाम से जूझते लोग
- बिजली-पानी की किल्लत
पुस्ता रोड, झरोदा: बाउंड्री वॉल और सड़क धंसी
कुछ दिन पहले की ही घटना है जब बुराड़ी की पुस्ता रोड, झरोदा इलाके में बाउंड्री वॉल और सड़क अचानक धंस गई। आज जो रोड धसी है, फोटो में आप देख लो। यह कोई सामान्य घटना नहीं थी, बल्कि यह इस बात का सबूत है कि यहां की आधारभूत संरचना कितनी कमजोर और घटिया स्तर पर बनाई गई है।
स्थानीय निवासियों का कहना है कि सड़क धंसने के पीछे कहीं न कहीं भ्रष्टाचार ही जिम्मेदार है। घटिया मटेरियल का इस्तेमाल, समय पर मरम्मत न होना और लापरवाह प्रशासन – ये सभी कारण इस तरह की घटनाओं को जन्म देते हैं।
जिम्मेदारी लेने से बचते विधायक और पार्षद
बुराड़ी की जनता का सबसे बड़ा गुस्सा इस बात को लेकर है कि यहां का कोई भी जनप्रतिनिधि जिम्मेदारी लेने को तैयार नहीं होता।
- जब सड़क टूटती है, तो पार्षद इसे विधायक की जिम्मेदारी बता देते हैं।
- जब नाली जाम होती है, तो विधायक इसे एमसीडी के जिम्मे ठहरा देते हैं।
- जब गली में जलभराव होता है, तो सभी नेता एक-दूसरे पर दोषारोपण शुरू कर देते हैं।
आखिरकार, पिसती है तो केवल जनता।
बुराड़ी की समस्याएं: एक गहन विश्लेषण
1. सड़क और यातायात व्यवस्था
बुराड़ी में सड़कों की हालत बेहद खराब है। जगह-जगह गड्ढे, टूटी सड़कें और असमान सतह लोगों के लिए सिरदर्द बन चुकी हैं। मानसून में यह समस्या और बढ़ जाती है। ट्रैफिक जाम तो यहां की पहचान बन चुकी है। सुबह और शाम के समय मुख्य सड़कों पर वाहन रेंग-रेंग कर चलते हैं।
2. गंदगी और सफाई व्यवस्था
एमसीडी की जिम्मेदारी साफ-सफाई की है, लेकिन बुराड़ी में गंदगी हर गली और मोहल्ले में देखने को मिलती है। कूड़ा उठाने वाली गाड़ियां समय पर नहीं आतीं, नालियों की सफाई नहीं होती। इसके चलते मच्छरों का प्रकोप बढ़ता है और डेंगू-मलेरिया जैसी बीमारियां फैलती हैं।
3. पानी और सीवर की समस्या
यहां के कई इलाकों में पानी की सप्लाई नियमित नहीं है। कुछ जगहों पर गंदा पानी आता है। वहीं सीवर लाइन की हालत इतनी खराब है कि अक्सर नालियां जाम रहती हैं और सड़कों पर गंदा पानी बहता रहता है।
4. स्वास्थ्य सुविधाएं
बुराड़ी जैसे बड़े इलाके में आज भी स्वास्थ्य सुविधाएं पर्याप्त नहीं हैं। सरकारी अस्पतालों और डिस्पेंसरी की संख्या कम है। प्राइवेट अस्पताल और क्लीनिक महंगे हैं, जिससे गरीब वर्ग इलाज नहीं कर पाता।
5. शिक्षा
स्कूलों की संख्या भले ही हो, लेकिन शिक्षा की गुणवत्ता पर सवाल उठते रहते हैं। कई जगह पर बच्चों को उचित सुविधाएं नहीं मिल रही हैं।
भ्रष्टाचार का जाल
बुराड़ी की जनता का कहना है कि यहां भ्रष्टाचार की जड़ें इतनी गहरी हैं कि बिना रिश्वत दिए कोई काम ही नहीं होता। चाहे घर का नक्शा पास करवाना हो, बिजली का कनेक्शन लेना हो, सीवर लाइन जोड़वाना हो या सड़क का काम करवाना हो – हर जगह रिश्वत की मांग होती है।
चुनाव से पहले नेता यही भ्रष्टाचार छिपाने के लिए “लिपा-पोती” करते हैं। कहीं सड़क पर पतली सी परत डलवा दी जाती है, कहीं दीवार पर रंग-रोगन करवा दिया जाता है, ताकि जनता को लगे कि काम हो रहा है। लेकिन असलियत यह है कि यह सब दिखावा ही है।
जनता की पीड़ा
स्थानीय लोगों का कहना है कि हर चुनाव में वे ठगे जाते हैं। कोई भी नेता ईमानदारी से उनकी समस्याओं का समाधान नहीं करता।
- “हमने विधायक से कहा कि सड़क धंस गई है, लेकिन उन्होंने कहा ये एमसीडी का काम है।”
- “पार्षद के पास गए तो उन्होंने कहा कि ये दिल्ली सरकार का विषय है।”
- “आखिर हम जाएं तो जाएं कहाँ?”
यह जनता की सीधी आवाज है, जो आज बुराड़ी में गूंज रही है।
राजनीतिक दलों की भूमिका
बुराड़ी विधानसभा दिल्ली की राजनीति में अहम सीट मानी जाती है। यहां विभिन्न राजनीतिक दल लगातार चुनाव लड़ते रहे हैं। लेकिन चाहे किसी भी दल का प्रतिनिधि जीतकर आया हो, जनता की समस्याएं जस की त्यों बनी हुई हैं।
- कांग्रेस के शासनकाल में भी यही हाल था।
- आप (AAP) के शासन में भी समस्याएं ज्यों की त्यों हैं।
- बीजेपी के एमसीडी पर होने के बावजूद हालात में कोई सुधार नहीं हुआ।
यानी तीनों दलों ने बुराड़ी को केवल वोट बैंक के रूप में इस्तेमाल किया है।
विशेषज्ञों की राय
शहरी मामलों के विशेषज्ञ मानते हैं कि बुराड़ी की समस्या केवल राजनीति या प्रशासनिक लापरवाही से नहीं, बल्कि योजना की कमी और अनियंत्रित जनसंख्या वृद्धि से भी जुड़ी है।
- बुराड़ी में तेजी से जनसंख्या बढ़ी है, लेकिन बुनियादी ढांचा उसी अनुपात में विकसित नहीं हुआ।
- सीवर लाइन और सड़कें पुरानी हैं, जो आज की जरूरत पूरी नहीं कर पा रही।
- हरियाली घटती जा रही है, जिससे पर्यावरणीय संकट गहराता जा रहा है।
क्या है समाधान?
बुराड़ी की स्थिति को सुधारने के लिए केवल वादों और दिखावे से काम नहीं चलेगा। इसके लिए ठोस कदम उठाने होंगे –
- सभी टूटी सड़कों की मरम्मत और गुणवत्तापूर्ण निर्माण।
- सीवर और पानी की नई लाइनें बिछाना।
- नियमित सफाई और कूड़ा प्रबंधन।
- स्वास्थ्य सुविधाओं का विस्तार।
- ट्रैफिक नियंत्रण के लिए नई योजनाएं।
- भ्रष्टाचार पर सख्त कार्रवाई।
जनता का आक्रोश और भविष्य
आज बुराड़ी की जनता का गुस्सा चरम पर है। लोग सोशल मीडिया पर अपनी नाराजगी जाहिर कर रहे हैं। मोहल्ला सभाओं और बैठकों में भी आवाज उठ रही है।
चुनावी मौसम करीब आते ही फिर नेता वादों की झड़ी लगाएंगे, लेकिन इस बार जनता का मूड अलग नजर आ रहा है।
कई लोग कहते हैं कि अगर इस बार भी कोई समाधान नहीं निकला तो वे चुनाव का बहिष्कार करेंगे।
निष्कर्ष
बुराड़ी विधानसभा दिल्ली के उन इलाकों में से एक है, जो भ्रष्टाचार और लापरवाही की पहचान बन चुके हैं। हर चुनाव से पहले जनता को सपने दिखाए जाते हैं, लेकिन चुनाव के बाद वही समस्याएं, वही टूटी सड़कें, वही गंदगी, वही जलभराव।
बुराड़ी की जनता आज पूछ रही है –
“हमने नेताओं को वोट दिया था ताकि वे हमारी जिंदगी आसान बनाएं। लेकिन क्या हमें बदले में सिर्फ टूटी सड़कें, गंदगी और झूठे वादे ही मिलेंगे?”
जब तक जनप्रतिनिधि अपनी जिम्मेदारी नहीं समझते और ईमानदारी से काम नहीं करते, तब तक बुराड़ी की तस्वीर बदलना मुश्किल है।

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