दिगोली गांव: रास्तों की बदहाली और विकास में भारी उपेक्षा


दिगोली, तहसील धारी, जिला नैनीताल आजतक बने नहीं नए रास्ते, विकास की झूठी घोषणाओं में फंसे ग्रामीण



दिगोली गांव: रास्तों की बदहाली और विकास में भारी उपेक्षा

उत्तराखंड के नैनीताल जिले, तहसील धारी, ब्लॉक ओखलकांडा के दिगोली गांव में दशकों से रास्तों की समस्या बनी हुई है। गांववासियों का कहना है कि आजतक यहां सच्चे में कोई नया रास्ता नहीं बना, बल्कि पुराने रास्तों को पास कर सरकारी पैसे हड़पने की ही नौटंकी होती रही है।

रास्तों की बदहाली ने ग्रामीण जीवन कठिन किया

दिगोली के अधिकांश रास्ते बेहद खराब हैं। बारिश के मौसम में ये दलदल और कीचड़ में बदल जाते हैं।

  • बच्चों का स्कूल जाना जोखिम भरा बन जाता है।
  • मरीजों को अस्पताल ले जाने में समय और जान का खतरा रहता है।
  • किसान अपने उत्पाद को बाज़ार तक नहीं पहुंचा पाते, जिससे आर्थिक नुकसान होता है।


ग्रामीणों का कहना है कि पिछले 15-20 वर्षों में कई सरकारी योजनाएं आईं, लेकिन आजतक कोई असरदार काम नहीं हुआ।

भ्रष्टाचार और अनदेखी का खेल

दिगोली में ठेकेदार और कुछ अधिकारियों ने पुराने रास्तों को पास कर नकली मरम्मत दिखाने का खेल खेला।

  • वास्तविक निर्माण या सुधार लगभग नहीं हुआ।
  • सरकारी पैसे ठेकेदारों की जेब में चले गए।
  • प्रशासन की अनदेखी और मिलीभगत ने भ्रष्टाचार को बढ़ावा दिया।

ग्रामीणों का कहना है, “हमारे पैसों से केवल ठेकेदारों ने फायदा उठाया, हमारे लिए कोई नई सुविधा नहीं आई।”


स्थानीय प्रशासन की भूमिका और उपेक्षा

स्थानीय प्रशासन और पंचायत को गांव में विकास के लिए जिम्मेदार होना चाहिए।

  • दिगोली में देखा गया है कि कोई भी ईमानदार प्रयास नहीं हुआ, केवल औपचारिकताएं पूरी की गई।
  • शिकायत करने पर भी कार्रवाई नाम मात्र की हुई।
  • प्रशासन की इस उपेक्षा ने ग्रामीणों में निराशा पैदा कर दी है।

ग्रामीणों की निराशा और मांगें

दिगोली के लोग अब स्पष्ट मांग कर रहे हैं:

  1. पुराने रास्तों के नाम पर पैसा डकारने की बजाय सच्चा निर्माण किया जाए।
  2. गांववासियों की सक्रिय भागीदारी से निगरानी सुनिश्चित की जाए।
  3. भ्रष्ट ठेकेदारों और अनदेखा करने वाले अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई हो।
  4. भविष्य में किसी भी निर्माण में पारदर्शिता और गुणवत्ता की गारंटी हो।

ग्रामीणों का कहना है कि विकास की झूठी घोषणाएं नहीं, बल्कि वास्तविक काम चाहिए।

निष्कर्ष: दिगोली में विकास की अनदेखी

दिगोली गांव की कहानी यह दिखाती है कि केवल विकास योजनाओं का नाम ही नहीं, उनका सही क्रियान्वयन भी जरूरी है।

  • रास्तों की बदहाली ने ग्रामीणों के जीवन को कठिन बना दिया।
  • भ्रष्टाचार और प्रशासन की अनदेखी ने गांववासियों की उम्मीदों को तोड़ दिया।
  • ग्रामीण अब चाहते हैं कि सच्चा काम, पारदर्शिता और जवाबदेही आए।


दिगोली, तहसील धारी, जिला नैनीताल में आजतक कोई असली रास्ता नहीं बना, और यह गांव विकास की अनदेखी का जीता-जागता उदाहरण है।

डिस्क्लेमर:

यह आर्टिकल दिगोली गांव, तहसील धारी, जिला नैनीताल में रास्तों की स्थिति और विकास परियोजनाओं पर आधारित है। इसमें प्रस्तुत जानकारी स्थानीय ग्रामीणों, उपलब्ध सरकारी रिकॉर्ड और मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है। आर्टिकल का उद्देश्य केवल जागरूकता बढ़ाना और ग्रामीण विकास की वास्तविक स्थिति को उजागर करना है। इसमें किसी व्यक्ति, संस्था या सरकारी निकाय पर आरोप लगाने का प्रयास नहीं किया गया है।

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