पुत्रदा एकादशी व्रत कथा और पूजन विधि | Putrada Ekadashi Vrat Katha & Vidhi in Hindi

पुत्रदा एकादशी व्रत कथा और पूजन विधि | Putrada Ekadashi Vrat Katha & Vidhi in Hindi


हर एकादशी भगवान श्रीविष्णु को समर्पित होती है, लेकिन ‘पुत्रदा एकादशी’ विशेष रूप से संतान प्राप्ति की कामना करने वाले दंपतियों के लिए अत्यंत फलदायक मानी जाती है। इस दिन श्रद्धा से व्रत और पूजन करने पर संतान सुख के साथ जीवन में सौभाग्य का उदय होता है। आइए जानें पुत्रदा एकादशी व्रत कथा और इसकी विधि।



पुत्रदा एकादशी 2025 की तिथि

तिथि: मंगलवार, 5 अगस्त 2025

पारण समय: 6 अगस्त 2025 प्रातः 06:00 AM से 08:20 AM तक

नक्षत्र योग: लक्ष्मी योग



पुत्रदा एकादशी व्रत का महत्व


पुत्रदा एकादशी को ‘संतानदायिनी एकादशी’ भी कहा जाता है। इसे करने से:


✅ संतान सुख की प्राप्ति होती है।

✅ संतान के जीवन की रक्षा होती है।

✅ दंपतियों को वैवाहिक जीवन में सुख और शांति मिलती है।

✅ पुण्य का लाभ व पापों का नाश होता है।




पुत्रदा एकादशी व्रत कथा (Vrat Katha)


प्राचीन काल में महिष्मती नगरी में राजा महीजित राज्य करते थे। वह धर्मपरायण, प्रजावत्सल और दानी राजा थे, लेकिन संतानहीन थे। इस कारण वह सदैव चिंतित रहते थे। एक दिन वे अपनी समस्या लेकर अपने गुरु और मंत्री के साथ महर्षि लोमेश के पास पहुँचे।


महर्षि लोमेश ने ध्यान करके बताया कि राजा ने पूर्व जन्म में एक ब्राह्मण को बिना भोजन कराए अपने घर से भगा दिया था। इसी पाप के कारण उन्हें संतान सुख से वंचित रहना पड़ रहा है। उपाय स्वरूप महर्षि ने उन्हें श्रावण शुक्ल एकादशी (पुत्रदा एकादशी) का व्रत रखने और भगवान विष्णु की आराधना करने का निर्देश दिया।


राजा ने विधिपूर्वक व्रत रखा, रात्रि जागरण किया और द्वादशी को ब्राह्मणों को दान दिया। कुछ समय बाद रानी गर्भवती हुई और उन्हें एक तेजस्वी पुत्र की प्राप्ति हुई।




व्रत विधि (Puja Vidhi)


व्रत की तैयारी

प्रातः स्नान कर शुद्ध वस्त्र धारण करें

व्रत का संकल्प लें – “मैं पुत्रदा एकादशी व्रत का पालन करूंगा/करूंगी”


 पूजन सामग्री

पीला वस्त्र, श्री विष्णु की मूर्ति या चित्र

तुलसी पत्र, धूप, दीप, फूल, चावल, पंचामृत, फल, मिठाई


 पूजन विधि

1. भगवान विष्णु की प्रतिमा को स्नान कराएं और पीले वस्त्र पहनाएं।

2. उन्हें पुष्प, चावल, धूप-दीप आदि अर्पित करें।

3. एकादशी व्रत कथा का पाठ करें

4. भगवान विष्णु की आरती करें और तुलसी दल अर्पित करें

5. रात्रि में जागरण करें और भजन-कीर्तन करें।


पारण विधि

द्वादशी तिथि को सूर्योदय के बाद व्रत का पारण करें।

ब्राह्मणों को भोजन कराएं, दान दें।

उसके बाद स्वयं फलाहार या भोजन करें।



पुत्रदा एकादशी व्रत के नियम


✅ व्रत में प्याज-लहसुन, मांस-मदिरा, तामसिक भोजन से परहेज करें।

✅ ब्रह्मचर्य का पालन करें और सात्विक आचरण करें।

✅ व्रत न कर सकें तो केवल श्री विष्णु का स्मरण, कथा और उपवास करके भी पुण्य प्राप्त कर सकते हैं।



🪔 निष्कर्ष


पुत्रदा एकादशी व्रत केवल संतान प्राप्ति का माध्यम ही नहीं, बल्कि यह आत्मशुद्धि, पुण्य अर्जन और जीवन को धर्ममय बनाने का एक श्रेष्ठ अवसर है। श्रद्धा और विधि से किया गया यह व्रत निश्चय ही परिवार में सुख, समृद्धि और संतान का वरदान लेकर आता है।




 सुझाव


 इस व्रत को करने से पहले अपने नज़दीकी पंडित या आध्यात्मिक गुरु से परामर्श जरूर लें।


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