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| अजा एकादशी 2025 |
अजा एकादशी 2025: तिथि, पूजा विधि, व्रत कथा और महात्म्य
अजा एकादशी 2025 की तिथि
हिंदू पंचांग के अनुसार, भाद्रपद कृष्ण पक्ष की एकादशी को अजा एकादशी कहते हैं। इस वर्ष अजा एकादशी का व्रत 19 अगस्त, मंगलवार को रखा जाएगा।
- एकादशी तिथि प्रारंभ: 18 अगस्त 2025, सोमवार शाम 05:48 बजे
- एकादशी तिथि समाप्त: 19 अगस्त 2025, मंगलवार शाम 07:25 बजे
- व्रत रखने का दिन: 19 अगस्त 2025, मंगलवार
- पारण (व्रत तोड़ना): 20 अगस्त 2025, बुधवार प्रातःकाल
अजा एकादशी का महत्व
“अजा” शब्द का अर्थ है – जो “अजन्मा” अर्थात जन्म-मरण से परे हो।
मान्यता है कि अजा एकादशी व्रत करने से मनुष्य के जन्म-जन्मांतर के पाप नष्ट हो जाते हैं और उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है।
शास्त्रों में लिखा है कि इस व्रत का फल हजार अश्वमेध यज्ञ और सौ राजसूय यज्ञ करने के बराबर होता है।
पूजा विधि
- प्रातः स्नान करके स्वच्छ वस्त्र पहनें।
- घर या मंदिर में भगवान विष्णु की मूर्ति/चित्र स्थापित करें।
- धूप-दीप जलाकर तुलसी पत्र, पीले फूल और प्रसाद अर्पित करें।
- व्रत करने वाला दिनभर उपवास रखे और हरि नाम का जाप करे।
- रात्रि में भजन-कीर्तन कर जागरण करना शुभ होता है।
- द्वादशी (अगले दिन) प्रातःकाल दान-पुण्य कर व्रत का पारण करें।
अजा एकादशी व्रत कथा
सत्य और धर्म के पालन के लिए प्रसिद्ध अयोध्या नरेश हरिश्चंद्र का जीवन अनेक कठिनाइयों से गुज़रा।
ऋषि विश्वामित्र के आदेश पर उन्होंने अपना राजपाट, धन-संपत्ति, यहाँ तक कि पत्नी और पुत्र भी त्याग दिए। राजा हरिश्चंद्र श्मशान में एक चांडाल के दास बनकर काम करने लगे।
इसी बीच, उनके पुत्र की मृत्यु हो गई। रानी शैव्या (तारामती) पुत्र का शव लेकर श्मशान पहुँचीं और अपने ही पति से अंतिम संस्कार की अनुमति माँगी। लेकिन धर्मनिष्ठ हरिश्चंद्र ने कहा
“श्मशान का शुल्क दिए बिना दाह संस्कार संभव नहीं।”
यह सुनकर रानी विलाप करने लगीं। उसी समय महर्षि गौतम वहाँ आए और उन्होंने राजा से कहा
“राजन, तुम्हारे ऊपर पिछले जन्मों के पापों का बोझ है। यदि तुम भाद्रपद कृष्ण पक्ष की अजा एकादशी का व्रत करोगे, तो तुम्हारे सभी पाप नष्ट हो जाएंगे।”
राजा हरिश्चंद्र ने श्रद्धा से अजा एकादशी का व्रत किया।
व्रत के प्रभाव से उनका पुत्र जीवित हो उठा, रानी को आभूषण वापस मिल गए और स्वयं राजा को उनका राजपाट प्राप्त हुआ।
भगवान विष्णु की कृपा से उनका दुख समाप्त हुआ और अंततः उन्हें स्वर्गलोक भी प्राप्त हुआ।
अजा एकादशी का महात्म्य
- इस व्रत से जन्म-जन्मांतर के पाप नष्ट हो जाते हैं।
- व्रती को चारों पुरुषार्थ – धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
- सहस्त्र अश्वमेध यज्ञ और सौ राजसूय यज्ञ के बराबर फल मिलता है।
- भक्त को भगवान विष्णु का आशीर्वाद प्राप्त होता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
निष्कर्ष
अजा एकादशी 2025 का व्रत 19 अगस्त, मंगलवार को रखा जाएगा।
यह व्रत न केवल सांसारिक सुख-संपत्ति प्रदान करता है बल्कि पापों का नाश कर जन्म-मरण के बंधन से भी मुक्ति दिलाता है। जो भी भक्त श्रद्धा और नियमपूर्वक इस दिन उपवास करता है, उसे भगवान विष्णु की अनंत कृपा प्राप्त होती है।

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