वृंदावन में बागेश्वर धाम के धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने प्रेमानंद महाराज से की भावुक भेंट, स्वास्थ्य और भक्ति पर हुआ आत्मीय संवाद

बागेश्वर धाम के महाराज जी से मिले प्रेमानंद महाराज, वृंदावन में हुआ आध्यात्मिक मिलन

वृंदावन, 14 अक्टूबर 2025  आध्यात्मिक जगत के दो प्रमुख संतों का मिलन सोमवार को वृंदावन में देखने को मिला। बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने वृंदावन पहुंचकर प्रसिद्ध संत प्रेमानंद महाराज से मुलाकात की। इस मुलाकात ने भक्तों के बीच श्रद्धा, करुणा और आध्यात्मिक एकता का नया संदेश दिया।

प्रेमानंद महाराज बीते कुछ समय से अस्वस्थ चल रहे हैं। चिकित्सकों के अनुसार उन्हें पॉलीसिस्टिक किडनी डिजीज है, जिसके कारण उनकी दोनों किडनियां कमजोर हो गई हैं और उन्हें नियमित डायलिसिस की आवश्यकता होती है। यही कारण है कि उन्होंने अपनी नियमित पदयात्राएं और प्रवचन कार्यक्रम अस्थायी रूप से रोक दिए थे। इस खबर के बाद देशभर में उनके भक्त चिंतित हो उठे थे।

हाल ही में सामने आए एक वीडियो में प्रेमानंद महाराज को हंसते और प्रसन्न मुद्रा में देखा गया, जिससे उनके अनुयायियों को बड़ी राहत मिली। वीडियो में वे हमेशा की तरह भक्तों को प्रेम, नाम और सेवा का संदेश देते दिखे। इसने यह संकेत दिया कि महाराज की तबीयत में धीरे-धीरे सुधार हो रहा है और वे जल्द ही सामान्य जीवन की ओर लौट सकते हैं।

इसी बीच, बागेश्वर धाम सरकार के नाम से विख्यात धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री अचानक वृंदावन पहुंचे। उन्होंने किसी सार्वजनिक कार्यक्रम या प्रवचन की घोषणा नहीं की थी, बल्कि वे विशेष रूप से प्रेमानंद महाराज का हालचाल जानने के उद्देश्य से आए थे। उनके साथ कुछ सेवक और सहयोगी भी मौजूद थे, लेकिन पूरी मुलाकात को सादगी और मर्यादा के साथ रखा गया।

शास्त्री जी सीधे राधा केली कुंज आश्रम पहुंचे, जहाँ प्रेमानंद महाराज इस समय विश्राम कर रहे हैं। जैसे ही धीरेंद्र शास्त्री वहाँ पहुंचे, भक्तों की भीड़ “राधे-राधे” के जयकारों से गूंज उठी। माहौल भक्तिमय और भावनात्मक दोनों था। आश्रम में दोनों संतों की भेंट होते ही एक अद्भुत आध्यात्मिक ऊर्जा का अनुभव हुआ।

धीरेंद्र शास्त्री ने प्रेमानंद महाराज के चरणों में प्रणाम किया और उनके स्वास्थ्य के बारे में पूछा। उन्होंने कहा कि “आपके दर्शन हो गए, अब मन को बहुत शांति मिली।” प्रेमानंद महाराज ने मुस्कुराते हुए कहा, “जहाँ भी जाओ, वहाँ नाम की महिमा सुनाओ, भगवान के नाम से ही माया का नाश होता है।” इस पर शास्त्री जी ने कहा कि वे उनके आशीर्वाद को अपने लिए एक वरदान मानते हैं।

मुलाकात के दौरान प्रेमानंद महाराज भावुक भी हुए। उन्होंने कहा, “पता नहीं यह जीवन रहे या न रहे, लेकिन नाम सदा अमर रहना चाहिए।” इस वाक्य ने उपस्थित भक्तों की आंखों में आंसू ला दिए। शास्त्री जी ने उन्हें गले लगाकर ढांढस बंधाया और कहा कि पूरा देश उनके लिए प्रार्थना कर रहा है, वे दीर्घायु हों और भक्तों को मार्गदर्शन देते रहें।

इस मुलाकात की तस्वीरें और वीडियो सोशल मीडिया पर कुछ ही घंटों में वायरल हो गए। कई भक्तों ने इसे “आध्यात्मिक संगम” बताया, जबकि कुछ ने लिखा कि यह मुलाकात हिंदू धर्म की एकता और संत परंपरा के प्रेम का प्रतीक है। ट्विटर (X), इंस्टाग्राम और यूट्यूब पर #PremanandMaharaj और #BageshwarDham के हैशटैग ट्रेंड करने लगे।

मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक, धीरेंद्र शास्त्री ने इस अवसर पर किसी औपचारिक भाषण या प्रवचन से परहेज़ किया। उन्होंने केवल कुछ मिनट प्रेमानंद महाराज के साथ बिताए और उनसे व्यक्तिगत वार्तालाप किया। विदा लेते समय दोनों संतों ने एक-दूसरे को गले लगाया। महाराज ने कहा, “आप आए, यही भगवान की कृपा है।” शास्त्री जी ने उत्तर दिया, “आपका आशीर्वाद ही मेरी शक्ति है।”

मुलाकात के बाद बागेश्वर धाम सरकार ने कहा कि “प्रेमानंद महाराज हमारे देश की आध्यात्मिक धरोहर हैं। उनका स्वास्थ्य ठीक रहना पूरे भारतवर्ष की आस्था से जुड़ा है। मैं सभी भक्तों से प्रार्थना करता हूँ कि वे रोज भगवान से उनके स्वास्थ्य लाभ के लिए प्रार्थना करें।”

वहीं प्रेमानंद महाराज के आश्रम की ओर से जारी बयान में कहा गया कि “श्री बागेश्वर धाम पीठाधीश्वर का आगमन हमारे लिए सौभाग्य की बात है। उन्होंने जिस आत्मीयता और सम्मान से महाराज जी का आशीर्वाद लिया, वह संत परंपरा की सच्ची झलक है।”

भक्तों के बीच इस मुलाकात को लेकर उत्साह का आलम रहा। आश्रम के बाहर देर रात तक भक्तों की भीड़ लगी रही। कई लोग प्रेमानंद महाराज के स्वास्थ्य लाभ की कामना करते हुए भजन-कीर्तन में लीन दिखे। वृंदावन की गलियों में हर ओर “जय श्री राधे” और “जय बागेश्वर धाम” के स्वर गूंजते रहे।

आध्यात्मिक विश्लेषकों का मानना है कि यह मुलाकात संत समाज में एकता और सहयोग का प्रतीक है। दोनों संत अपने-अपने क्षेत्र में लाखों लोगों के जीवन को छू चुके हैं, और उनका एक साथ आना भक्तों के लिए प्रेरणादायी संदेश देता है। यह भी कहा जा रहा है कि इस मुलाकात ने “नाम भक्ति” और “सेवा भाव” की अवधारणा को और गहराई दी है।

इस मुलाकात के बाद सोशल मीडिया पर भक्तों ने कहा कि “जब संत मिलते हैं, तब संसार में सकारात्मक ऊर्जा बढ़ती है।” कुछ ने लिखा कि “यह दृश्य देखकर लग रहा था जैसे भगवान स्वयं दो रूपों में आमने-सामने हों।”

वर्तमान समय में जब समाज में मतभेद, विभाजन और तनाव बढ़ रहा है, तब इस तरह का आध्यात्मिक मिलन लोगों को एकता और शांति का संदेश देता है। बागेश्वर धाम के शास्त्री और प्रेमानंद महाराज दोनों ने अपने आचरण से दिखाया कि सच्ची भक्ति किसी मत या संप्रदाय की नहीं, बल्कि मानवता की होती है।

कुल मिलाकर, वृंदावन की यह भेंट केवल दो संतों की मुलाकात नहीं थी, बल्कि यह एक जीवंत संदेश था कि जब श्रद्धा, प्रेम और सेवा का संगम होता है, तब आस्था और मानवता दोनों का उत्थान होता है। इस घटना ने यह भी सिद्ध किया कि भारत की संत परंपरा आज भी समाज को जोड़ने का सबसे मजबूत सूत्र है।



Post a Comment

0 Comments

Comments