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पंजाब में जलप्रलय: खेत डूबे, फसलें बर्बाद – किसानों के साथ शिवराज का संकल्प |
बाढ़ की विभीषिका: पंजाब में ज़लप्रलय जब धरती भी छलनी हो जाए
“पंजाब में जलप्रलय की स्थिति है फसलें पूरी तरह से डूबी हुई हैं। बिना खेत में जाए दर्द और नुकसान का अंदाजा नहीं लगाया जा सकता। फसलों पर संकट है। स्थिति देखकर मन द्रवित है। हम किसानों को हौसला नहीं हारने देंगे, मजबूती से साथ खड़े हैं।”
यह भावपूर्ण उद्घोषणा या बयान नहीं, बल्कि केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान की आँखों से जुड़ा सच्चा एहसास है, जो उन्होंने राज्य की इस क़यामत जैसी स्थिति को देखकर व्यक्त किया।
1. क्या हालात हैं क्या है बाढ़ का पैमाना?
- अगस्त 2025 के दौरान, पंजाब में भारी मानसून वर्षा और सिलसिलेवार बांधों की ओवरफ्लो ने statewide तबाही मचा दी है। परिणामस्वरूप लगभग 1,400 से अधिक गाँव बाढ़ की चपेट में आ चुके हैं, और 2.5 लाख से ज्यादा एकड़ कृषि भूमि जलमग्न हो चुकी है।
- इसकी त्रासदी चार दशक 1988 के बाद की सबसे बड़ी बाढ़ बताई जा रही है।
- दूसरी रिपोर्टों के अनुसार, लगभग 3.54 लाख लोग प्रभावित, 30 से 37 लोग मृत और लाखों हेक्टेयर फसलें डूब चुकी हैं।
2. खेतों से आती आवाज़: पराजित रिकॉर्ड, मिट्टी का अँतरा दर्द
- शिवराज सिंह चौहान जब पानी से लबालब खेतों में गए “जहां खड़े होने की जगह नहीं, सिर्फ कीचड़ और वसंतों की तरह सिलो दिखाई दे रही है।” उनकी यह तस्वीर बताती है कि खेत में कदम रखते ही दर्द का एहसास कितना गहरा होता है।
- उन्होंने पंजाब की इस स्थिति की तुलना ‘जलप्रलय’ से की “Loss is visible. The crop is completely damaged. Fields are inundated… It is ‘jal pralay’.”
3. घाटा कितना है मूल्य नहीं, आम ज़िंदगी की कीमत है
- फसलें विशेषकर धान (पैडी) कटाई से कुछ सप्ताह पहले ही बाढ़ में बह चुके हैं।
- रिपोर्ट्स कहती हैं कि 150,000 हेक्टेयर भूमि पर फसलें नष्ट हो चुकी हैं, और बासमती चावल उत्पादन में 20-25% तक गिरावट संभव।
4. सरकार का जाना-अनदेखा दुख: कैसी रही राहत और प्रतिक्रिया
- दो केंद्रीय टीमों को भेजा गया है विकास, कृषि, बजट, जलशक्ति, ग्रामीण विकास जैसे विभागों के अधिकारियों सहित जिन्होंने प्रभावित इलाकों का दौरा किया और रिपोर्ट तैयार की।
- शिवराज सिंह चौहान ने “पूरी सहायता के लिए केंद्र मजबूती से खड़ा है” और “किसानों को हम अकेले नहीं छोड़ेंगे” की संकल्पना जताई।
- राज्य सरकार की ओर से भी विशिष्ट गिरदावरी (crop damage assessment), स्कूलों की अवकाश अवधि, और अस्थाई राहत शिविर का गठन किया गया।
- ड्रोन तकनीक का उपयोग बचाव और राहत सामग्री पहुंचाने में शुरू हो चुका है पंजाब पुलिस द्वारा ड्रोन से राशन, दवा, प्राथमिक चिकित्सा जुटाई जा रही है।
5. राजनीतिक प्रतिध्वनि: मांगें और समर्थन
- SAD अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल और आप के नेता भागवंत मान ने केंद्र और राज्य सरकार को दोनों पर तैयारी और राहत कोष न देने का आरोप लगाया।
- राहुल सिंह बादल जैसे नेताओं ने ₹50,000-₹70,000 प्रति एकड़ तक मुआवज़ा देने की अपील की, साथ ही बीमा, ऋण माफी, घर व पशु सहायता समेत व्यापक राहत माँगी।
- पूर्व हरियाणा सीएम भूपिंदर सिंह हुड्डा ने भी 100% मुआवज़ा, भैंस-पशु बचाव, और ग्रामीण व्यापारों को तुरंत राहत दिए जाने की माँग की।
- अमृतसर दौरे पर केजरीवाल ने कहा यह राजनीति का मामला नहीं, मानवीय ज़िम्मेदारी का समय है; किसान तक सीधा मुआवज़ा पहुँचना चाहिए।
6. भावनात्मक बुलाहट: “मन नहीं हारेगा”
आपके शब्दों का भाव समर्पित है:
“दर्द और नुकसान का अंदाजा खेत में जाए बिना नहीं लगाया जा सकता…”
“हम किसानों को हौसला नहीं हारने देंगे…”
ये सिर्फ वाक्य नहीं यह किसानों के साथ हमारा दृढ़ संकल्प है, जो शिवराज सिंह चौहान, मुख्यमंत्री भगवंत मान, और केंद्र दोनों की ज़ुबानी पुकार में गूँजता है।
7. भविष्य की राह: पुनर्निर्माण और सुरक्षा की तरकीबें
- दीर्घकालीन उपाय नदी किनारों पर बाँधों की मजबूती, नहरों का डी-सील्टिंग, और जल निकासी सुनिश्चित करना की गहन ज़रूरत है।
- साथ ही, कृषि बीमा योजनाएँ, ग्रामीण बुनियादी ढांचे के लिए निवेश, और जल-प्रबंधन रणनीतियाँ पर काम ज़रूरी है।
आशा की एक किरण किसानों के साथ समाज खड़ा है
यह कोई सामान्य बाढ़ नहीं; यह एक आर्थिक, भावनात्मक, और सामाजिक विघटन है। लेकिन जब शिवराज सिंह चौहान कहते हैं “हम साथ हैं, हौसला नहीं हारेगा, मदद पूरी मिलेगी” उसमें सिर्फ शब्द नहीं, विश्वास की टुकड़ी होती है।
इस दुःख और विपदा के बीच, समाज का कॉल है किसान की मुस्कान लौटानी है, उनकी जमीन को फिर हरीतिमा से भरना है। इस ब्लॉग के माध्यम से यही संदेश पंहुचना चाहा: हम हैं पंजाब की मिट्टी की खुशबू को फिर महकाना है।

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