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e-HRMS से e-Courts तक: टेक्नोलॉजी से बदलेगा न्याय |
दिल्ली उच्च न्यायालय में तकनीकी क्रांति: ई-HRMS पोर्टल से लेकर डिजिटल न्याय तक नई पहलें शुरू
दिल्ली उच्च न्यायालय में न्यायपालिका को डिजिटल और फ्यूचर-रेडी बनाने के लिए मोबाइल ऐप, ई-HRMS पोर्टल, ई-ऑफिस प्रोजेक्ट और डिजिटल रिकॉर्ड संरक्षण जैसी कई पहलें शुरू की गईं। जानिए इस ऐतिहासिक कदम की पूरी जानकारी।
न्याय प्रणाली को आधुनिक तकनीक से जोड़ने की दिशा में आज एक ऐतिहासिक कदम उठाया गया। दिल्ली उच्च न्यायालय परिसर में कई नई डिजिटल पहलों का शुभारंभ किया गया, जिनमें दिल्ली उच्च न्यायालय मोबाइल ऐप, न्यायिक अधिकारियों के लिए ई-HRMS पोर्टल, ई-ऑफिस पायलट प्रोजेक्ट, MCD अपीलेट ट्रिब्यूनल और JJBs का e-Courts में ऑनबोर्डिंग, तथा न्यायिक रिकॉर्ड्स का डिजिटल संरक्षण शामिल है।
इस कार्यक्रम का उद्घाटन सुप्रीम कोर्ट के माननीय न्यायमूर्ति श्री विक्रम नाथ (चेयरपर्सन, ई-कमेटी) एवं दिल्ली हाईकोर्ट के माननीय मुख्य न्यायाधीश श्री देवेन्द्र कुमार उपाध्याय की गरिमामयी उपस्थिति में हुआ।
न्याय प्रणाली में तकनीकी बदलाव की ज़रूरत
भारत की न्याय व्यवस्था दुनिया की सबसे बड़ी और जटिल व्यवस्थाओं में से एक है। करोड़ों मुकदमे लंबित हैं और न्याय पाने में अक्सर वर्षों लग जाते हैं। ऐसे में तकनीक की मदद से न्यायिक प्रक्रिया को तेज़, पारदर्शी और सुलभ बनाना समय की मांग है।
माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने बार-बार ज़ोर दिया है कि टेक्नोलॉजी को न्याय प्रणाली का आधार बनाया जाए, ताकि हर नागरिक को त्वरित और निष्पक्ष न्याय मिल सके। दिल्ली उच्च न्यायालय की यह पहल इसी विज़न को आगे बढ़ाती है।
लॉन्च की गई प्रमुख पहलें
1. दिल्ली उच्च न्यायालय मोबाइल ऐप
यह ऐप नागरिकों, वकीलों और न्यायिक अधिकारियों के लिए एक डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म है, जहां केस की जानकारी, सुनवाई की तारीखें और कोर्ट से जुड़े नोटिफिकेशन तुरंत मिल सकेंगे।
2. ई-HRMS पोर्टल
न्यायिक अधिकारियों के लिए मानव संसाधन प्रबंधन को आसान बनाने के लिए ई-HRMS (Human Resource Management System) शुरू किया गया है। इससे अधिकारियों की सेवाओं से जुड़े सभी कार्य जैसे छुट्टियाँ, ट्रांसफर, प्रमोशन और प्रशिक्षण डिजिटल रूप से प्रबंधित होंगे।
3. ई-ऑफिस पायलट प्रोजेक्ट
कोर्ट की फाइलिंग और प्रशासनिक कार्य अब डिजिटल माध्यम से होंगे। इससे कागज़ी फाइलों पर निर्भरता कम होगी और कार्यप्रणाली तेज़ व पारदर्शी बनेगी।
4. MCD अपीलेट ट्रिब्यूनल और JJBs का e-Courts से जुड़ना
यह कदम न्यायिक संस्थाओं को एकीकृत डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म पर लाकर कामकाज को और सुगम बनाएगा।
5. न्यायिक रिकॉर्ड्स का डिजिटल संरक्षण
यह सबसे बड़ा और ऐतिहासिक कदम है। वर्षों से जमा हो रही फाइलों और दस्तावेजों को डिजिटल रूप में सुरक्षित किया जाएगा, ताकि भविष्य में उनका उपयोग और पहुंच आसान हो सके।
दिल्ली सरकार की भूमिका
दिल्ली सरकार ने न्यायपालिका को मज़बूत बनाने में अपना योगदान दिया है। हर न्यायाधीश को अब चार लॉ रिसर्चर उपलब्ध कराए जाएंगे, ताकि वे मुकदमों पर अधिक गहराई से और तेज़ी से काम कर सकें।
इसके साथ ही:
- आधुनिक कोर्टरूम बनाए जा रहे हैं।
- कोर्ट परिसर में वाई-फाई और हाई-टेक इंफ्रास्ट्रक्चर की सुविधा दी गई है।
- न्यायिक अधिकारियों के लिए आवासीय सुविधाओं हेतु विशेष बजट प्रावधान किया गया है।
यह मज़बूत सपोर्ट सिस्टम निश्चित रूप से न्यायिक प्रक्रिया को और प्रभावी बनाएगा।
कार्यक्रम की गरिमामयी उपस्थिति
इस अवसर पर आईटी, एआई एवं एक्सेसिबिलिटी समिति की चेयरपर्सन न्यायमूर्ति श्रीमती प्रतिभा एम. सिंह, न्यायमूर्ति श्री संजीव नरूला, न्यायमूर्ति श्री स्वरना कांत शर्मा, न्यायमूर्ति श्री पुरुषेन्द्र कुमार कौरव और न्यायमूर्ति श्री गिरीश कथपालिया भी उपस्थित रहे।
इन सभी की उपस्थिति इस बात का संकेत है कि न्यायपालिका सामूहिक रूप से तकनीकी बदलाव को अपनाने के लिए प्रतिबद्ध है।
दिल्ली उच्च न्यायालय द्वारा उठाया गया यह कदम भारतीय न्याय प्रणाली के लिए डिजिटल क्रांति की शुरुआत कहा जा सकता है। इससे न केवल लंबित मामलों की सुनवाई में तेजी आएगी, बल्कि आम नागरिकों को भी न्याय तक पहुंचना आसान होगा।
यह पहल दर्शाती है कि भारत अब सिर्फ पारंपरिक ढर्रे पर नहीं, बल्कि टेक्नोलॉजी आधारित न्यायिक ढांचे की ओर बढ़ रहा है। आने वाले समय में इससे न्यायपालिका और नागरिकों के बीच का फासला घटेगा और न्याय अधिक तेज़, पारदर्शी और सुलभ बनेगा।


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