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खाना खाकर सोने जा रही बच्ची को बाघ ने बनाया निवाला | दर्दनाक हादसा |
श्रीकोट पोखड़ा ब्लॉक में मासूम बच्ची पर बाघ का हमला, गांव में मातम
उत्तराखंड के श्रीकोट पोखड़ा ब्लॉक से एक बेहद दर्दनाक और दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है। कल रात करीब 9:30 बजे एक मासूम बच्ची पर अचानक बाघ ने हमला कर दिया और उसे अपने जबड़ों में दबाकर घर से दूर झाड़ियों की ओर खींच ले गया। इस दर्दनाक हादसे ने पूरे इलाके को शोक और भय के साये में डुबो दिया है।
घटना कैसे घटी
जानकारी के मुताबिक, श्रीकोट क्षेत्र के रहने वाले जितेंद्र जी की नन्ही बेटी खाना खाने के बाद अपने घर के निचले हिस्से से ऊपर वाले कमरे में सोने जा रही थी। घर के आंगन से होते हुए जैसे ही वह नीमदरी (सीढ़ियों) तक पहुँची, तभी अचानक बाघ ने उस पर झपटा मार दिया। सब कुछ इतनी तेजी से हुआ कि बच्ची को संभालने का मौका तक नहीं मिला। बाघ ने बच्ची को अपने जबड़ों में दबोचकर तुरंत पास की झाड़ियों की ओर खींच लिया।
परिजनों का चीख-पुकार
घटना के समय घर के बाकी सदस्य भी मौजूद थे। बच्ची पर हमला होते ही परिवारजन चीखने-चिल्लाने लगे। गांव के लोग शोर मचाते हुए बाहर दौड़े, लेकिन तब तक बाघ मासूम को झाड़ियों की ओर ले गया था। कुछ ही देर में यह दर्दनाक खबर पूरे गांव में फैल गई और देखते ही देखते माहौल मातम में बदल गया।
प्रशासन और वन विभाग पर सवाल
गांव वालों का आरोप है कि क्षेत्र में लंबे समय से बाघ की गतिविधियाँ देखी जा रही थीं, लेकिन वन विभाग ने इस ओर कोई गंभीर ध्यान नहीं दिया। आए दिन पालतू जानवरों को नुकसान पहुँचाने की घटनाएँ भी सामने आती रही हैं। इसके बावजूद सुरक्षा के ठोस इंतज़ाम नहीं किए गए। ग्रामीणों का कहना है कि अगर समय रहते वन विभाग ने कदम उठाए होते, तो आज यह मासूम बच्ची अपनी जिंदगी न गंवाती।
गांव में दहशत का माहौल
घटना के बाद से पूरे इलाके में दहशत का माहौल है। ग्रामीण रात होने के बाद घरों से बाहर निकलने से कतरा रहे हैं। खासकर महिलाएँ और बच्चे बेहद डरे हुए हैं। लोगों की मांग है कि बाघ को जल्द से जल्द पकड़ा जाए या फिर सुरक्षित स्थान पर भेजा जाए।
परिजनों की स्थिति
जितेंद्र जी और उनका परिवार इस हादसे से पूरी तरह टूट चुका है। जिस बच्ची को कुछ देर पहले उन्होंने हंसते-बोलते देखा था, वह अचानक उनके बीच से हमेशा के लिए चली गई। परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल है और गांव के लोग उन्हें ढांढस बंधाने में लगे हैं।
सरकार और प्रशासन की ज़िम्मेदारी
यह पहली बार नहीं है जब उत्तराखंड के ग्रामीण इलाकों में इस तरह की घटनाएँ सामने आई हैं। बाघ और गुलदार (तेंदुए) आए दिन गांवों में घुसकर इंसानों या पालतू जानवरों को निशाना बना रहे हैं। सवाल यह है कि आखिर कब तक ग्रामीण इस खौफ के साए में जीते रहेंगे? सरकार और वन विभाग को अब केवल बयानबाजी नहीं, बल्कि ठोस कदम उठाने होंगे ताकि आगे ऐसी घटनाएँ न हों।
श्रीकोट पोखड़ा ब्लॉक की इस मासूम बच्ची की दर्दनाक मौत ने एक बार फिर इंसान और वन्यजीवों के बीच बढ़ते टकराव की ओर ध्यान खींचा है। यह केवल एक परिवार की त्रासदी नहीं, बल्कि पूरे समाज के लिए एक चेतावनी है कि अगर समय रहते सही कदम नहीं उठाए गए तो ऐसी घटनाएँ भविष्य में और भी बढ़ सकती हैं।

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