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किसानों के हक़ और राजधानी की जरूरत दोनों पूरे होंगे |
राजस्थान से दिल्ली तक बिजली लाने की परियोजना में आई बड़ी सफलता, किसानों को मिलेगा मुआवज़ा और राजधानी को स्थायी बिजली व्यवस्था
लंबे समय से अटकी हुई राजस्थान से दिल्ली तक बिजली पहुंचाने की परियोजना को आखिरकार हरी झंडी मिल गई है। दिल्ली सरकार की पहल पर किसानों और प्रशासन के बीच सहमति बनी है। इस फैसले से न केवल किसानों की वर्षों पुरानी मांग पूरी हुई है बल्कि दिल्ली को मजबूत और स्थायी बिजली आपूर्ति का रास्ता भी साफ हो गया है।
भारत सरकार ने राजस्थान से दिल्ली तक बिजली पहुंचाने के लिए एक महत्वपूर्ण ट्रांसमिशन परियोजना शुरू की थी।
- इसका मकसद राजस्थान में बनने वाली सौर और पवन ऊर्जा को दिल्ली तक पहुंचाना है।
- यह परियोजना दिल्ली की बढ़ती बिजली खपत को पूरा करने और स्वच्छ ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए बेहद अहम है।
- आने वाले समय में दिल्ली को लगातार और स्थायी बिजली उपलब्ध कराने के लिए यह लाइन बैकबोन साबित होगी।
अड़चन क्यों आई थी?
यह परियोजना लंबे समय से किसानों और प्रशासन के बीच गतिरोध में फंसी हुई थी।
- किसानों की ज़मीन से होकर यह हाई-वोल्टेज बिजली लाइनें गुजरनी थीं।
- किसान भूमि मूल्यांकन और मुआवज़े को लेकर असंतुष्ट थे।
- उन्हें डर था कि लाइन गुजरने से उनकी ज़मीन पर मालिकाना हक़ प्रभावित होगा और खेती पर असर पड़ेगा।
इसी कारण काम बीच में रुक गया था और परियोजना अधर में लटक गई थी।
दिल्ली सरकार की पहल से बनी सहमति
अब दिल्ली सरकार की पहल से गतिरोध दूर हो गया है।
- किसानों और प्रशासन के बीच भूमि मूल्यांकन व उचित मुआवज़े पर सहमति बनी है।
- विशेष बात यह है कि किसानों का मालिकाना हक़ उनकी ज़मीन पर बना रहेगा।
- जिन किसानों की ज़मीन प्रभावित होगी, उन्हें उचित मुआवज़ा मिलेगा और वे खेती करते रहेंगे।
यह कदम किसानों को न्याय देने और बिजली परियोजना को आगे बढ़ाने के बीच संतुलन का उदाहरण है।
किसानों के लिए बड़ी राहत
किसानों के लिए यह फैसला किसी राहत से कम नहीं है।
- उन्हें अब अपनी ज़मीन गंवाने का डर नहीं है।
- मुआवज़े के साथ-साथ वे खेती भी जारी रख पाएंगे।
- इससे उनकी आर्थिक स्थिति प्रभावित होने की बजाय और मज़बूत होगी।
किसानों ने कहा कि यह फैसला उनके हक़ में है और अब वे इस परियोजना में सहयोग करने को तैयार हैं।
दिल्ली को स्थायी बिजली आपूर्ति
दिल्ली की बिजली खपत लगातार बढ़ रही है। गर्मी के दिनों में राजधानी में रिकॉर्ड स्तर पर बिजली की मांग होती है।
- राजस्थान से आने वाली ऊर्जा इस दबाव को कम करने में मदद करेगी।
- नवीकरणीय ऊर्जा (Renewable Energy) के जरिए दिल्ली को हरित बिजली भी मिलेगी।
- यह परियोजना दिल्ली की बिजली व्यवस्था को लंबे समय तक स्थिर और सुरक्षित बनाएगी।
स्वच्छ ऊर्जा को बढ़ावा
यह परियोजना केवल बिजली आपूर्ति तक सीमित नहीं है, बल्कि यह ग्रीन एनर्जी मिशन का भी हिस्सा है।
- राजस्थान में बनने वाली सौर और पवन ऊर्जा को सीधे दिल्ली लाया जाएगा।
- इससे कोयले पर निर्भरता कम होगी और प्रदूषण भी घटेगा।
- भारत के “नेट जीरो एमिशन 2070” लक्ष्य की दिशा में यह बड़ा कदम है।
विशेषज्ञों की राय
ऊर्जा विशेषज्ञों का कहना है कि इस परियोजना से दिल्ली की बिजली व्यवस्था पर बड़ा सकारात्मक असर पड़ेगा।
- यह निर्णय किसानों और सरकार दोनों के लिए जीत है।
- परियोजना पूरी होने के बाद दिल्ली की बिजली व्यवस्था और भी मजबूत होगी।
- इससे भविष्य में बिजली कटौती और संकट जैसी समस्याओं से काफी हद तक राहत मिलेगी।
राजनीतिक और सामाजिक संदेश
यह समझौता केवल तकनीकी या आर्थिक महत्व का नहीं है, बल्कि इसका सामाजिक और राजनीतिक महत्व भी है।
- यह दिखाता है कि बातचीत और सही मूल्यांकन से किसी भी बड़े विवाद का हल निकाला जा सकता है।
- किसानों के हितों की रक्षा और विकास कार्य दोनों एक साथ संभव हैं।
- यह समझौता आने वाले समय में अन्य राज्यों के लिए भी एक मिसाल बन सकता है।
राजस्थान से दिल्ली तक बिजली पहुंचाने वाली यह परियोजना अब पूरी रफ्तार से आगे बढ़ेगी।
- किसानों को उनका हक़ और मुआवज़ा मिलेगा।
- दिल्ली को स्वच्छ और स्थायी बिजली व्यवस्था का तोहफ़ा मिलेगा।
- और भारत सरकार का नवीकरणीय ऊर्जा का सपना हकीकत के और करीब आएगा।
👉 The Garun News की टीम ने इस परियोजना से जुड़े तथ्यों और किसानों की सहमति की पुष्टि की है।

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