![]() |
नंदानगर आपदा में मासूम भाइयों की असमय विदाई ने सबको रुला दिया |
नंदानगर आपदा मासूम जुड़वां भाइयों की असमय विदाई ने सबको रुला दिया
नंदानगर में आई भयंकर आपदा ने पूरे इलाके को शोक और सदमे में डाल दिया है। यह त्रासदी केवल एक परिवार की नहीं, बल्कि पूरे समाज की पीड़ा बन गई है। इस आपदा ने दो मासूम जिंदगियां छीन लीं जुड़वां भाई विकास और विशाल, जो जन्म से लेकर अंतिम सांस तक एक-दूसरे के साथ रहे और हमेशा-हमेशा के लिए साथ ही दुनिया से विदा हो गए।
17 सितंबर की रात आई इस भयावह आपदा के बाद बचाव दल लगातार 36 घंटे तक राहत और खोज कार्य में जुटा रहा। उम्मीद की एक छोटी सी किरण सभी के दिलों में थी कि शायद मासूम भाई जीवित मिल जाएं। लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंजूर था। जब आखिरकार दोनों बच्चों के शव उनकी मां के साथ एक ही स्थान पर मिले, तो पूरा क्षेत्र आंसुओं में डूब गया। वहां मौजूद हर आंख नम हो गई और हर दिल दहल उठा।
लोग कहते हैं कि भाईचारा दुनिया में सबसे अनमोल रिश्ता होता है। विकास और विशाल का रिश्ता इसका जीवंत उदाहरण था। जन्म से लेकर खेलकूद, पढ़ाई और रोजमर्रा की छोटी-छोटी खुशियों तक दोनों हर समय साथ रहते थे। उनकी मासूम मुस्कानें और खिलखिलाहट आज भी घर की दीवारों और गली-मोहल्ले में गूंजती हुई महसूस होती हैं। लेकिन अब यह सब केवल यादों में ही रह गया है।
नंदानगर की गलियों में मातम पसरा हुआ है। हर कोई यही कह रहा है कि यह घटना सिर्फ एक परिवार की त्रासदी नहीं, बल्कि पूरे समाज की गहरी क्षति है। बुजुर्गों की आंखों में आंसू हैं, युवाओं के चेहरों पर सन्नाटा है और माताओं की आंखों से अश्रुधारा रुकने का नाम नहीं ले रही। पूरा कस्बा इन मासूम बच्चों के असमय बिछोह से टूट चुका है।
इस हादसे ने एक गहरी सच्चाई को फिर सामने ला दिया है जीवन अनिश्चित है। आज हम सभी भागदौड़ और सपनों की तलाश में जी रहे हैं, लेकिन यह घटना याद दिलाती है कि कब, कहां और किसके साथ क्या हो जाए, कोई नहीं जानता। शायद इसी कारण जब ऐसी खबरें सामने आती हैं, तो रूह कांप जाती है और मन में सवाल उठता है कि आखिर यह जिंदगी किस ओर भाग रही है।
स्थानीय लोग लगातार परिवार को ढांढस बंधा रहे हैं और प्रशासन से मांग कर रहे हैं कि पीड़ित परिवार को हर संभव मदद उपलब्ध कराई जाए। वहीं, बच्चों की असामयिक मृत्यु पर पूरे जिले में शोक की लहर है। स्कूलों और मंदिरों में उनकी आत्मा की शांति के लिए प्रार्थनाएं की जा रही हैं।
यह त्रासदी हमें केवल दुख ही नहीं देती, बल्कि एक सीख भी देती है अपने अपनों के साथ समय बिताइए, क्योंकि कोई नहीं जानता कि कल किसके हिस्से में कौन-सी सुबह होगी और किसके हिस्से में अंधेरा।
आज नंदानगर रो रहा है। विकास और विशाल का नाम हमेशा उस भाईचारे की मिसाल के रूप में लिया जाएगा, जो जन्म से लेकर अंतिम सांस तक साथ रहा। उनकी स्मृतियां हर दिल में हमेशा जीवित रहेंगी।

0 Comments