GTB नगर चौराहे पर बदली ट्रैफिक व्यवस्था, लोगों की बढ़ी परेशानी और सुरक्षा पर सवाल

दिल्ली के GTB नगर (Kingsway Camp) चौक पर रेड लाइट बंद कर बैरिकेड्स लगाए गए हैं। जाम कम करने की कोशिश में अब लोगों को आधा किलोमीटर लंबा चक्कर लगाना पड़ रहा है, जबकि खतरनाक U-turn से दुर्घटनाओं का खतरा बढ़ गया है। जानिए पूरी रिपोर्ट।

GTB नगर चौक पर बंद की गई रेड लाइट और लगाए गए बैरिकेड्स, जिससे लोगों को अब आधा किलोमीटर लंबा चक्कर लगाना पड़ता है।


GTB नगर चौराहे पर ट्रैफिक व्यवस्था में बदलाव: जाम कम करने की कोशिश या दुर्घटनाओं को न्योता?

दिल्ली का GTB नगर (Kingsway Camp) चौराहा उत्तर दिल्ली के सबसे व्यस्त इलाकों में से एक है। यह जगह दिल्ली विश्वविद्यालय (North Campus), किराए के मकानों, बाजार और ग्रामीण सेवा वाहनों की भारी भीड़ के कारण हमेशा ट्रैफिक जाम में रहती है। हाल ही में यहां दिल्ली पुलिस और ट्रैफिक विभाग ने बड़ा बदलाव किया है।

GTB चौक की रेड लाइट को बंद कर दिया गया है और बीच में बैरिकेड्स व डिवाइडर लगाकर सीधा क्रॉसिंग रोक दी गई है। इसका मकसद ट्रैफिक जाम को कम करना बताया जा रहा है, लेकिन इस फैसले ने लोगों की मुश्किलें और बढ़ा दी हैं।

आधा किलोमीटर लंबा चक्कर

चौराहे को बंद किए जाने के बाद अब लोगों को अपनी मंजिल तक पहुंचने के लिए कम से कम आधा किलोमीटर लंबा चक्कर लगाना पड़ रहा है। रोज़ाना यहां से गुजरने वाले सैकड़ों वाहनों को यह बदलाव परेशान कर रहा है।

  • स्थानीय लोगों का कहना है कि पहले जहां वे 2 मिनट में सड़क पार कर लेते थे, अब 10–15 मिनट तक चक्कर लगाना पड़ता है।
  • रिक्शा और ई-रिक्शा ड्राइवरों की जेब पर भी असर पड़ा है, क्योंकि अतिरिक्त दूरी तय करने पर पेट्रोल/डीजल और समय दोनों की खपत बढ़ गई है।

खतरनाक U-turn और बढ़ता दुर्घटना का खतरा

इस व्यवस्था के बाद जो सबसे बड़ा खतरा सामने आया है, वह है खतरनाक U-turn।

फोटो में साफ देखा जा सकता है कि:

  • U-turn बेहद संकरा है।
  • सामने से आ रहे वाहन और U-turn लेने वाले वाहन आमने-सामने आ जाते हैं।
  • ट्रैफिक का दबाव इतना है कि शाम और रात के समय यह जगह दुर्घटना का अड्डा बन सकती है।

स्थानीय लोगों का कहना है कि रात में जब स्ट्रीटलाइट्स की रोशनी भी कमजोर होती है, तो यहां से गुजरना जानलेवा हो जाता है।

GTB नगर चौक के पास बना खतरनाक U-turn, जहां सामने से आती गाड़ियों के कारण दुर्घटनाओं का खतरा लगातार बना रहता है।



जाम कम करने की कोशिश, लेकिन समाधान अधूरा

दिल्ली ट्रैफिक पुलिस ने GTB चौक को बंद करने के पीछे यह तर्क दिया कि यहां ग्रामीण सेवा और ई-रिक्शा वाले हमेशा जाम लगा कर खड़े रहते थे।

  • यह सही है कि इस चौक पर जाम की समस्या बड़ी थी।
  • लेकिन केवल रेड लाइट बंद करना और बैरिकेड्स लगाना स्थायी समाधान नहीं है।

जाम कम करने के लिए अगर चौराहे को बंद भी करना था, तो उसके साथ सुरक्षा और वैकल्पिक व्यवस्था पर भी ध्यान देना जरूरी था।

लोगों की राय

रोज़ाना यहां से गुजरने वाले यात्रियों और दुकानदारों ने इस व्यवस्था को लेकर मिली-जुली प्रतिक्रिया दी है:

  1. यात्री वर्ग – उनका कहना है कि U-turn इतना खतरनाक है कि रोज़ाना यहां छोटी-मोटी दुर्घटनाएं देखने को मिल रही हैं।
  2. दुकानदार – ग्राहकों की संख्या घट गई है, क्योंकि अतिरिक्त दूरी और जाम की वजह से लोग छोटे काम के लिए GTB चौक की तरफ आना टाल रहे हैं।
  3. रिक्शा और ई-रिक्शा चालक – अतिरिक्त दूरी तय करने से उनका समय और खर्च दोनों बढ़ गए हैं, लेकिन यात्रियों से ज्यादा पैसे मांगने पर झगड़े की नौबत आ जाती है।

विशेषज्ञों की राय

ट्रैफिक एक्सपर्ट्स का कहना है कि किसी भी व्यस्त चौराहे को बंद करना अंतिम विकल्प होना चाहिए। इसके बजाय निम्नलिखित उपाय ज्यादा कारगर साबित हो सकते हैं:

  • ट्रैफिक पुलिस की स्थायी तैनाती – भीड़भाड़ वाले समय में पुलिस कर्मी मैनुअल तरीके से ट्रैफिक नियंत्रित करें।
  • ग्रामीण सेवा और ई-रिक्शा के लिए अलग लेन – जिससे मुख्य सड़क पर बाधा न बने।
  • U-turn की सुरक्षित डिज़ाइनिंग – चौड़ा U-turn, स्पीड ब्रेकर और रिफ्लेक्टर लगाए जाएं ताकि रात में भी साफ नजर आए।
  • सिग्नल टाइमिंग मैनेजमेंट – स्मार्ट ट्रैफिक सिग्नल सिस्टम लगाया जाए, जिससे गाड़ियों का फ्लो कंट्रोल हो सके।

रात के समय की सबसे बड़ी चुनौती

रात के समय यहां ट्रैफिक पुलिस की तैनाती नहीं होती, और स्ट्रीटलाइट्स भी पूरी तरह कारगर नहीं हैं।

  • अंधेरे में बैरिकेड्स और डिवाइडर कई बार नजर नहीं आते।
  • तेज़ रफ्तार से आने वाले वाहन अक्सर अचानक मोड़ लेते हैं, जिससे टक्कर का खतरा और बढ़ जाता है।
  • स्थानीय लोगों की मांग है कि कम से कम रात के समय यहां पुलिसकर्मी या ट्रैफिक गार्ड मौजूद होना चाहिए।

क्या निकलेगा कोई स्थायी समाधान?

GTB नगर चौराहे पर किया गया यह बदलाव सवाल खड़े करता है। दिल्ली जैसे महानगर में जहां रोज़ लाखों वाहन चलते हैं, वहां ट्रैफिक प्रबंधन को लेकर सिर्फ अस्थायी इंतज़ाम पर्याप्त नहीं हैं।

लोगों का मानना है कि अगर सच में ट्रैफिक जाम कम करना है तो:

  • पब्लिक ट्रांसपोर्ट को बढ़ावा देना होगा।
  • ग्रामीण सेवा वाहनों को रेगुलेट करना होगा।
  • और सबसे जरूरी, स्थायी इन्फ्रास्ट्रक्चर प्लानिंग करनी होगी।

GTB नगर चौक पर रेड लाइट बंद करने और डिवाइडर लगाने का फैसला भले ही ट्रैफिक जाम कम करने के इरादे से लिया गया हो, लेकिन इससे लोगों की परेशानी और दुर्घटनाओं का खतरा कई गुना बढ़ गया है।

यह साफ है कि केवल जाम कम करना ही समाधान नहीं है, बल्कि यात्रियों की सुरक्षा और सुविधा दोनों को ध्यान में रखना होगा। जब तक इस चौराहे पर वैकल्पिक व्यवस्था नहीं की जाती, तब तक यहां रोज़ाना हादसों का खतरा बना रहेगा।

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