एयरस्पेस युद्ध: भारत-पाकिस्तान में फिर से बढ़ा तनाव





भारत ने पाकिस्तानी विमानों पर एयरस्पेस बैन बढ़ाया – जानिए क्यों बढ़ रहा है तनाव




भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव ने एक बार फिर दोनों देशों के एयरस्पेस (हवाई क्षेत्र) को राजनीतिक हथियार बना दिया है। भारत ने हाल ही में पाकिस्तानी विमानों पर अपने हवाई क्षेत्र का प्रतिबंध 24 जुलाई 2025 तक बढ़ा दिया है, जबकि पाकिस्तान ने भी भारतीय विमानों के लिए 24 अगस्त 2025 तक अपना एयरस्पेस बंद रखा है।



🔴 क्या है मामला?



बीते कुछ महीनों में भारत और पाकिस्तान के बीच राजनयिक संबंधों में तनाव लगातार बढ़ता जा रहा है। इसकी शुरुआत पहलगाम आतंकी हमले से हुई थी, जिसमें भारत ने पाकिस्तान पर परोक्ष रूप से आरोप लगाया था। इसके बाद दोनों देशों ने एक-दूसरे पर वीजा रोक, व्यापारिक प्रतिबंध और अब हवाई क्षेत्र बंद करने जैसे कदम उठाए।





 एयरस्पेस बैन का असर:



  1. लंबी दूरी की फ्लाइट पर असर:
    एयर इंडिया, इंडिगो और अन्य भारतीय विमान अब पाकिस्तान के ऊपर से उड़ान नहीं भर सकते, जिससे यूरोप और मिडिल ईस्ट की उड़ानों की दूरी और समय दोनों बढ़ गए हैं।
  2. ईंधन और खर्च में इजाफा:
    भारत की सरकारी एयरलाइन्स को एक अनुमान के अनुसार हर महीने करोड़ों रुपये का नुकसान हो रहा है।
  3. यात्रियों पर असर:
    फ्लाइट टिकट महंगे हो सकते हैं और यात्रियों को वैकल्पिक मार्गों से सफर करना पड़ रहा है।






📜 सरकार की ओर से क्या कहा गया?



भारत सरकार के अनुसार, यह फैसला सुरक्षा कारणों से लिया गया है। पाकिस्तान से आने वाली किसी भी संदिग्ध गतिविधि को रोकने के लिए यह कदम उठाया गया है। वहीं, पाकिस्तान का भी कहना है कि यह बैन भारत की “आक्रामक नीति” के जवाब में लगाया गया है।





🔍 क्या जल्द हल निकलेगा?



विशेषज्ञों का मानना है कि जब तक दोनों देश कूटनीतिक स्तर पर बातचीत नहीं करते, तब तक एयरस्पेस जैसी समस्याएँ बनी रहेंगी। हालांकि अंतरराष्ट्रीय विमानन संगठन (ICAO) दोनों देशों से संयम बरतने की अपील कर रहा है।





📌 निष्कर्ष:



भारत और पाकिस्तान के बीच यह हवाई युद्ध सिर्फ आसमान में नहीं है, बल्कि ज़मीन पर लोगों के जीवन और जेब पर भी असर डाल रहा है। उम्मीद की जानी चाहिए कि आने वाले समय में बातचीत के ज़रिए समाधान निकले और आम नागरिकों को राहत मिले।





Garun News की राय:



“जब बात राष्ट्रीय सुरक्षा की हो, तब सतर्कता ज़रूरी है। लेकिन संवाद के रास्ते बंद नहीं होने चाहिए।”

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