डोनाल्ड ट्रंप से जिनपिंग ने की बात, चीन आने का दिया न्योता
अंतरराष्ट्रीय राजनीति में एक बड़ा घटनाक्रम सामने आया है। अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति और 2024 के राष्ट्रपति चुनावों में दोबारा उम्मीदवारी दर्ज करा चुके डोनाल्ड ट्रंप को चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने आधिकारिक बातचीत के लिए चीन आने का न्योता दिया है।
यह खबर ऐसे समय पर आई है जब दुनिया के दो सबसे बड़े देशों – अमेरिका और चीन – के संबंध व्यापार, तकनीक, और सामरिक मुद्दों को लेकर लगातार चर्चा में हैं।
🔹 बातचीत का विषय क्या रहा?
सूत्रों के अनुसार, शी जिनपिंग और डोनाल्ड ट्रंप के बीच टेलीफोन पर करीब 40 मिनट की बातचीत हुई। इस दौरान निम्न मुद्दों पर चर्चा हुई:
1. वैश्विक व्यापार संबंधों में स्थिरता
2. अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा और दक्षिण चीन सागर की स्थिति
3. AI और टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में सहयोग की संभावना
4. 2025 की अमेरिकी चुनावी राजनीति और उसका असर
🔸 क्यों खास है ये न्योता?
शी जिनपिंग का यह न्योता कूटनीतिक दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है क्योंकि ट्रंप का चीन के साथ पुराना रुख सख्त रहा है। उन्होंने अपने कार्यकाल में कई बार चीन पर व्यापारिक दबाव बनाया और TikTok जैसे ऐप्स पर पाबंदी भी लगाई थी।
अब, यदि ट्रंप फिर से अमेरिका के राष्ट्रपति बनते हैं, तो यह यात्रा अमेरिका-चीन संबंधों के नए दौर की शुरुआत का संकेत दे सकती है।
🌍 वैश्विक प्रतिक्रियाएं
• अमेरिकी मीडिया इस बातचीत को ट्रंप की विदेश नीति की नई रणनीति के रूप में देख रहा है।
• यूरोपीय विश्लेषकों का मानना है कि चीन अमेरिका में सत्ता परिवर्तन की संभावना को ध्यान में रखते हुए पहले से संवाद स्थापित करना चाहता है।
• भारत की विदेश नीति विशेषज्ञों ने भी इस मुलाकात को “सावधानीपूर्वक निगाह रखने योग्य” बताया है, विशेषकर एशिया में शक्ति संतुलन के संदर्भ में।
🛬 क्या ट्रंप जाएंगे चीन?
हालांकि, डोनाल्ड ट्रंप की ओर से अब तक चीन यात्रा को लेकर कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं की गई है। लेकिन सूत्रों का कहना है कि यदि यह बैठक होती है, तो यह 2025 के अंत या 2026 की शुरुआत में हो सकती है।
🧠 निष्कर्ष:
ट्रंप और जिनपिंग की यह बातचीत वैश्विक राजनीति के लिए एक बड़ा संकेत है। दुनिया इस ओर देख रही है कि क्या ये दो ताकतवर नेता पुराने विवाद भुलाकर भविष्य की दिशा तय कर पाएंगे?
🔎 Garun News की राय:
“राजनीति में कोई स्थायी दुश्मन या दोस्त नहीं होता — केवल राष्ट्रीय हित ही सर्वोपरि होते हैं। ट्रंप और जिनपिंग की यह बातचीत इसी बात का उदाहरण हो सकती है

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