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शारदा नहर में गिरे दंपति… राहगीरों ने देवदूत बनकर बचाई जान |
लखनऊ में बड़ा हादसा टला : शारदा नहर में गिरे दंपति, राहगीरों ने दिखाया साहस, बची दो जिंदगियाँ
लखनऊ। कभी-कभी जिंदगी एक पल में करवट ले लेती है एक ओर मौत का मंजर सामने खड़ा होता है और दूसरी ओर इंसानियत का हाथ थामे जिंदगी जीत जाती है। राजधानी लखनऊ के मवई चौराहे के पास शुक्रवार को ऐसा ही दिल दहला देने वाला हादसा हुआ। बाइक सवार दंपति अचानक अनियंत्रित होकर शारदा नहर में जा गिरा। करीब 15 फीट गहरे पानी और तेज बहाव में दोनों डूबने लगे। लेकिन राहगीरों की सूझबूझ और बहादुरी ने पलभर में इस त्रासदी को टाल दिया और दो जिंदगियाँ बच गईं।
हादसे की पूरी घटना
जानकारी के अनुसार उमाशंकर अपनी पत्नी के साथ लखनऊ से घर लौट रहे थे। शाम का वक्त था और सड़क पर सामान्य चहल-पहल बनी हुई थी। तभी मवई चौराहे के पास उनकी बाइक अचानक अनियंत्रित हो गई और सीधा शारदा नहर में गिर गई। नहर की गहराई करीब 15 फीट थी और पानी का बहाव तेज था। दोनों डूबने लगे। यह दृश्य देख आसपास मौजूद लोग घबरा गए।
देवदूत बने राहगीर
कुछ ही क्षणों में लोगों ने हिम्मत दिखाई। कुछ युवकों ने बिना समय गंवाए अपनी जान की परवाह किए बिना पानी में छलांग लगा दी। उन्होंने तेजी से तैरकर उमाशंकर और उनकी पत्नी को पकड़ा और काफी मशक्कत के बाद किनारे तक खींच लाए। इस दौरान वहां मौजूद सैकड़ों लोगों की साँसें अटकी हुई थीं। जैसे ही दोनों सुरक्षित बाहर आए, सभी ने राहत की साँस ली।
भावुक कर देने वाला पल
बाहर आने के बाद का दृश्य बेहद भावुक था। डरी और सहमी पत्नी रोते हुए अपने पति से लिपट गई। वह लगातार माफी मांग रही थी, मानो हादसे की जिम्मेदारी उसी की हो। पति ने तुरंत उसे शांत किया और पीठ थपथपाते हुए कहा
“चिंता मत करो, हम दोनों ठीक हैं… बहुत बड़ा संकट टल गया।”
पति के ये शब्द केवल पत्नी को ही नहीं, बल्कि वहां खड़े हर शख्स को गहराई तक छू गए। लोगों की आँखों में आँसू थे। किसी ने कहा, “यह वाकई किसी चमत्कार से कम नहीं।”
इंसानियत की मिसाल
स्थानीय लोगों का कहना है कि अगर राहगीर तुरंत मदद के लिए आगे न आते तो नतीजे बहुत भयावह हो सकते थे। जिन युवकों ने जान की बाजी लगाकर दंपति को बचाया, वे वाकई देवदूत से कम नहीं। यह घटना एक बार फिर साबित करती है कि इंसानियत अभी जिंदा है और मुश्किल वक्त में अनजान लोग भी आपके लिए फरिश्ता बन सकते हैं।
हादसे से मिली सीख
यह हादसा चेतावनी भी देता है कि सड़क पर चलते समय सतर्क रहना कितना जरूरी है। थोड़ी-सी लापरवाही जानलेवा साबित हो सकती है। वाहन की स्पीड पर नियंत्रण रखना, हेलमेट पहनना और सावधानी से चलना हर किसी की जिम्मेदारी है। साथ ही यह घटना समाज को यह भी संदेश देती है कि एक-दूसरे की मदद करना ही असली इंसानियत है।
लखनऊ का यह हादसा जहाँ एक ओर मौत के मुहाने तक ले गया, वहीं दूसरी ओर इंसानियत, साहस और रिश्तों की गहराई को सामने ले आया। उमाशंकर और उनकी पत्नी का सुरक्षित बच निकलना किसी करिश्मे से कम नहीं। यह घटना हमेशा याद दिलाएगी कि मुश्किल वक्त में इंसानियत ही सबसे बड़ी ताकत है।

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