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कर्तव्य पथ पर चलते हुए शहीद हुए सुरेन्द्र दत्त नौटियाल – उत्तराखंड की धरती का सच्चा वीर पुत्र |
थराली रेस्क्यू ऑपरेशन में बलिदान देने वाले जांबाज़ NDRF जवान श्री सुरेन्द्र दत्त नौटियाल को श्रद्धांजलि
उत्तराखंड की वीरभूमि ने हमेशा देश को साहसी, पराक्रमी और कर्तव्यनिष्ठ सपूत दिए हैं। इसी कड़ी में एक और नाम जुड़ गया है – श्री सुरेन्द्र दत्त नौटियाल। राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (NDRF) में अपनी सेवाएँ दे रहे नौटियाल जी ने हाल ही में थराली क्षेत्र में चल रहे रेस्क्यू ऑपरेशन के दौरान लोगों की जान बचाने हेतु अपने प्राणों की आहुति दे दी। उनका यह बलिदान न केवल उनके परिवार और गांव के लिए, बल्कि पूरे उत्तराखंड और देश के लिए गौरव और पीड़ा का विषय है।
उनका साहस और कर्तव्यनिष्ठा यह संदेश देती है कि मानवता की सेवा ही सबसे बड़ा धर्म है। आपदा प्रबंधन में लगे इन नायक का बलिदान सदैव स्मरणीय रहेगा और भविष्य की पीढ़ियों को प्रेरित करता रहेगा।
सुरेन्द्र दत्त नौटियाल का जीवन परिचय
सुरेन्द्र दत्त नौटियाल मूल रूप से उत्तराखंड के पर्वतीय अंचल से ताल्लुक रखते थे। छोटी उम्र से ही उनका झुकाव अनुशासन, परिश्रम और सेवा की ओर था। कठोर पहाड़ी जीवन ने उन्हें न केवल शारीरिक रूप से सशक्त बनाया बल्कि मानसिक रूप से भी दृढ़ बना दिया।
उन्होंने अपनी शिक्षा-दीक्षा पूरी करने के बाद राष्ट्र सेवा का मार्ग चुना और राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (NDRF) से जुड़े। उनका मानना था कि देश की रक्षा केवल सीमाओं पर ही नहीं, बल्कि विपदाओं और आपदाओं में फंसे लोगों की मदद करके भी की जा सकती है।
परिवार और गांववालों के अनुसार नौटियाल जी हमेशा से निस्वार्थ भाव से सेवा करने में विश्वास रखते थे। उनका जीवन बेहद सरल था और वे हमेशा अपने साथियों को मदद और सहयोग के लिए प्रेरित करते थे।
NDRF और उसकी भूमिका
राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (NDRF) भारत सरकार के गृह मंत्रालय के अधीन कार्यरत एक विशेष बल है, जिसे आपदाओं में राहत और बचाव कार्य के लिए गठित किया गया है।
- यह बल बाढ़, भूकंप, भूस्खलन, चक्रवात, आगजनी जैसी प्राकृतिक आपदाओं से निपटने में सबसे आगे रहता है।
- उत्तराखंड जैसे पर्वतीय राज्यों में जहाँ अक्सर बादल फटना, भूस्खलन और नदी-नाले में बाढ़ आना आम है, वहाँ NDRF की भूमिका और भी महत्वपूर्ण हो जाती है।
- सुरेन्द्र दत्त नौटियाल जैसे सैकड़ों जवान दिन-रात जोखिम उठाकर लोगों की जान बचाने के कार्य में जुटे रहते हैं।
थराली रेस्क्यू ऑपरेशन – घटना का विवरण
हाल ही में उत्तराखंड के चमोली जिले के थराली क्षेत्र में भारी वर्षा और भूस्खलन के कारण कई लोग संकट में आ गए। नदियों और नालों के उफान से कई गांवों का संपर्क टूट गया और लोगों की जान खतरे में पड़ गई।
इसी परिस्थिति में NDRF की टीम को मौके पर तैनात किया गया। सुरेन्द्र दत्त नौटियाल अपनी टीम के साथ राहत और बचाव कार्य में जुट गए। उन्होंने कई लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया और लगातार प्रयास करते रहे कि किसी भी निर्दोष नागरिक की जान न जाए।
लेकिन इस कठिन ऑपरेशन के दौरान परिस्थितियाँ बेहद प्रतिकूल हो गईं। पानी का तेज बहाव और अचानक आई बाढ़ की वजह से सुरेन्द्र दत्त नौटियाल खुद इसकी चपेट में आ गए। लोगों की जान बचाते-बचाते उन्होंने अपने प्राणों का बलिदान दे दिया।
मानवता की सेवा में सर्वोच्च बलिदान
श्री नौटियाल का यह बलिदान यह दर्शाता है कि
- सच्चा सिपाही वही है जो दूसरों की सुरक्षा के लिए अपने जीवन की परवाह न करे।
- मानवता की रक्षा ही सबसे बड़ी सेवा है।
- वे केवल अपने परिवार के नहीं, बल्कि पूरे समाज और राष्ट्र के संरक्षक थे।
उनका यह पराक्रम आने वाली पीढ़ियों को यह संदेश देगा कि “कर्तव्य सर्वोपरि है”।
उत्तराखंड की वीरभूमि और बलिदान की परंपरा
उत्तराखंड हमेशा से वीरता और बलिदान की धरती रही है। यहां के हजारों जवान भारतीय सेना, अर्धसैनिक बलों और पुलिस में सेवाएँ देते हुए देश के लिए अपने प्राण न्यौछावर कर चुके हैं।
- कारगिल युद्ध से लेकर हाल के वर्षों तक, गढ़वाल और कुमाऊं रेजीमेंट के वीर सैनिकों ने देश की रक्षा की है।
- इसी परंपरा में अब सुरेन्द्र दत्त नौटियाल का नाम भी दर्ज हो गया है।
- उनका बलिदान इस बात का प्रमाण है कि उत्तराखंड की मिट्टी हमेशा राष्ट्र के लिए अमूल्य बलिदानी सपूत पैदा करती रही है।
समाज और सरकार की प्रतिक्रिया
श्री नौटियाल की शहादत की खबर सुनते ही पूरा क्षेत्र शोक में डूब गया।
- स्थानीय लोग बड़ी संख्या में उनके घर पहुंचे और परिवार को सांत्वना दी।
- उत्तराखंड सरकार ने उनके बलिदान को सलाम करते हुए परिवार को हर संभव मदद और सम्मान देने की घोषणा की।
- सोशल मीडिया पर भी हजारों लोगों ने श्रद्धांजलि अर्पित की।
प्रेरणास्रोत बनेगा उनका जीवन
सुरेन्द्र दत्त नौटियाल का जीवन और बलिदान हर उस युवा के लिए प्रेरणा है जो राष्ट्र और समाज की सेवा करना चाहता है।
- उनके समर्पण से सीख मिलती है कि कठिन परिस्थितियों में भी हार न मानकर आगे बढ़ना चाहिए।
- उनका त्याग यह दर्शाता है कि सच्ची वीरता वही है जो दूसरों की रक्षा में हो।
- उनका नाम आने वाली पीढ़ियों को कर्तव्यनिष्ठा और साहस का पाठ पढ़ाएगा।
निष्कर्ष
थराली रेस्क्यू ऑपरेशन के दौरान शहीद हुए NDRF जवान सुरेन्द्र दत्त नौटियाल को सम्पूर्ण उत्तराखंड और भारत सदैव नमन करेगा। उनका बलिदान यह बताता है कि आपदा प्रबंधन में तैनात हर जवान किसी देवदूत से कम नहीं है।
उनकी वीरगाथा इतिहास के पन्नों में स्वर्ण अक्षरों से लिखी जाएगी और उनका साहस हर उत्तराखंडी और हर भारतीय के लिए गर्व की बात रहेगा।
श्रद्धांजलि संदेश
“ऐसे जांबाज़, कर्तव्यनिष्ठ और पराक्रमी सिपाही को हमारी कोटि-कोटि श्रद्धांजलि। ईश्वर दिवंगत आत्मा को शांति प्रदान करें और शोकाकुल परिवार को इस कठिन घड़ी में धैर्य व शक्ति प्रदान करें।”

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