📍स्थान: दिगोली गांव, जिला नैनीताल, उत्तराखंड
📝 रिपोर्टर विशेष
उत्तराखंड की सुंदर वादियों के बीच बसा दिगोली गांव, आज भी बुनियादी सुविधाओं के लिए तरस रहा है। जहां एक तरफ सरकार हर गांव तक सड़क पहुँचाने का दावा कर रही है, वहीं दिगोली गांव में आरसीसी सड़क तो दूर, पैदल चलने लायक रास्ते भी बदहाल हैं।
📷 ग्राउंड से तस्वीरें बोलती हैं:
- मिट्टी के संकरे और गड्ढों से भरे रास्ते
- घास-झाड़ियों से ढका मार्ग
- बरसात में पूरी तरह फिसलन भरा और जानलेवा
ग्रामीणों को स्कूल, अस्पताल, राशन की दुकान या खेती तक जाने के लिए रोज़ इन्हीं रास्तों से गुजरना पड़ता है। बच्चे स्कूल नहीं जा पाते, बुज़ुर्ग फिसलते हैं, और बीमार को खाट पर उठा कर नीचे लाना पड़ता है।
💬 ग्रामीणों का कहना है:
“गांव का पैसा हर बार आता है, पर सड़क कहीं नहीं दिखती।”
“पंचायत और अधिकारियों को कई बार शिकायत दी गई, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई।”
“अगर रास्ता नहीं बना सकते तो कम से कम पैदल चलने लायक पगडंडी तो पक्की कर दो।”
📢 सवाल जो उठते हैं:
- किसने खर्च किया गांव विकास का फंड?
- क्या PMGSY (प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना) के तहत दिगोली को कभी चुना गया?
- पंचायत और जिला प्रशासन की क्या ज़िम्मेदारी बनती है?
⚠️ डिस्क्लेमर:
यह रिपोर्ट सार्वजनिक हित में तैयार की गई है और इसमें प्रस्तुत तस्वीरें, बयान और सूचनाएं ग्रामीणों के प्रत्यक्ष अनुभव और स्थानीय निरीक्षण पर आधारित हैं। हमारा उद्देश्य किसी व्यक्ति विशेष, संस्था या सरकारी विभाग को बदनाम करना नहीं है, बल्कि जनता की असल समस्याओं को सामने लाना है। अगर संबंधित विभाग या प्रशासन की ओर से कोई प्रतिक्रिया आती है, तो हम उसे भी समान रूप से प्रकाशित करने को तैयार हैं।
📌 निष्कर्ष और मांग:
- दिगोली गांव में तत्काल आरसीसी रोड व पैदल चलने लायक सोलिंग या पक्के रास्ते बनाए जाएं।
- विकास के नाम पर आए धन की पारदर्शिता सुनिश्चित हो।
- गांववासियों की सुरक्षा और सुविधा को प्राथमिकता दी जाए।
🗣️ अगर आप भी दिगोली के लोगों की इस समस्या को गंभीर मानते हैं, तो इस रिपोर्ट को ज़्यादा से ज़्यादा शेयर करें।
क्योंकि… विकास सिर्फ शहरों का नहीं, गांवों का भी हक है!



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