ऑनलाइन गेमिंग बिल 2025: ई-स्पोर्ट्स को मिला खेल का दर्जा, रियल मनी गेमिंग पर सख्त रोक

अब नहीं होगा पैसों वाला खेल — ई-स्पोर्ट्स को मिला खेल का दर्जा, रियल मनी गेमिंग पर रोक।

राष्ट्रपति ने दी मंजूरी: ऑनलाइन गेमिंग (प्रमोशन और रेग्युलेशन) बिल 2025 से बदलेगा भारत का डिजिटल गेमिंग भविष्य

भारत में ऑनलाइन गेमिंग उद्योग लंबे समय से चर्चा का विषय रहा है। कहीं इसे मनोरंजन का साधन माना गया, तो कहीं इसे लत और आर्थिक नुकसान का कारण बताया गया। अब इस बहस को एक नई दिशा मिली है, क्योंकि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने ऑनलाइन गेमिंग (प्रमोशन और रेग्युलेशन) बिल 2025 को मंजूरी दे दी है। इस कानून के साथ ही भारत में ई-स्पोर्ट्स को आधिकारिक खेल का दर्जा मिल गया है और पैसे वाले गेम्स यानी ‘रियल मनी गेमिंग’ पर सख्त रोक लगाई गई है।

क्यों ज़रूरी था यह कानून?

भारत में ऑनलाइन गेमिंग का बाजार पिछले 5 सालों में कई गुना बढ़ चुका है। आंकड़ों के अनुसार:

  • 2018 में जहाँ ऑनलाइन गेमिंग इंडस्ट्री का मूल्य करीब 4,000 करोड़ रुपये था, वहीं 2024 तक यह 20,000 करोड़ रुपये से अधिक का हो चुका है।
  • भारत में करीब 45 करोड़ से अधिक ऑनलाइन गेमिंग उपयोगकर्ता सक्रिय हैं।
  • युवाओं की बड़ी संख्या अब गेमिंग को सिर्फ मनोरंजन नहीं बल्कि करियर के तौर पर भी देख रही है।

लेकिन, इस बढ़ते बाजार के साथ कई खतरे भी सामने आए:

  • नशे की लत – कई किशोर और युवा लगातार घंटों ऑनलाइन गेम्स खेलने लगे जिससे पढ़ाई और जीवन पर नकारात्मक असर पड़ा।
  • आर्थिक नुकसान – पैसों वाले गेम्स में लाखों युवाओं ने अपनी जमा-पूंजी गँवा दी।
  • सट्टेबाजी और जुए का खतरा – रियल मनी गेमिंग के चलते कई अवैध एप्स और प्लेटफॉर्म्स फैल गए।

इन्हीं समस्याओं को ध्यान में रखते हुए केंद्र सरकार ने यह बिल लाया ताकि एक संतुलित व्यवस्था बनाई जा सके, जिसमें ई-स्पोर्ट्स को बढ़ावा मिले और हानिकारक गेम्स पर रोक लगे।

बिल की मुख्य बातें

  1. ई-स्पोर्ट्स को खेल का दर्जा 
  2. अब ई-स्पोर्ट्स को क्रिकेट, फुटबॉल और बैडमिंटन जैसे पारंपरिक खेलों की श्रेणी में शामिल किया गया
  3. खिलाड़ी अब राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट्स में भारत का प्रतिनिधित्व कर सकेंगे।
  4. पैसों वाले गेम्स पर रोक
  5. जुए, सट्टेबाजी और ‘रियल मनी गेमिंग’ पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया गया है।
  6. इस तरह के गेम्स चलाने वाली कंपनियों पर भारी जुर्माना और लाइसेंस रद्द करने का प्रावधान है।
  7. रेग्युलेशन और लाइसेंसिंग सिस्टम
  8. सभी गेमिंग कंपनियों को सरकार से लाइसेंस लेना अनिवार्य होगा।
  9. कंटेंट की जांच होगी ताकि गेम्स बच्चों और युवाओं के लिए सुरक्षित हों।
  10. लत और मानसिक स्वास्थ्य पर नियंत्रण
  11. सरकार मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञों और शिक्षाविदों की मदद से ‘सेफ गेमिंग गाइडलाइन’ तैयार करेगी।
  12. बच्चों और युवाओं के लिए समय सीमा और आयु सीमा तय की जाएगी।
  13. नवाचार और रोजगार को बढ़ावा
  14. ई-स्पोर्ट्स और स्किल-बेस्ड गेमिंग के लिए स्टार्टअप्स और कंपनियों को प्रोत्साहन दिया जाएगा।
  15. इससे नए रोजगार और निवेश के अवसर पैदा होंगे।

सरकार की सोच

केंद्रीय सूचना एवं प्रौद्योगिकी मंत्री ने कहा कि:“भारत

उद्योग और खिलाड़ियों की प्रतिक्रिया

  • ई-स्पोर्ट्स संगठनों ने इस फैसले का स्वागत किया है। उनका कहना है कि अब भारतीय खिलाड़ी ओलंपिक और एशियाई खेलों जैसी प्रतियोगिताओं में मजबूत दावेदार बन सकेंगे।
  • ऑनलाइन गेमिंग कंपनियाँ, जो रियल मनी गेम्स पर निर्भर थीं, उन्होंने चिंता जताई है कि इससे उनके बिज़नेस पर असर पड़ेगा।
  • खिलाड़ियों और युवाओं ने सोशल मीडिया पर खुशी जताई है कि अब उनका शौक भी करियर का रूप ले सकता है।

फायदे

  1. ई-स्पोर्ट्स को पहचान – खिलाड़ियों को अब सरकारी समर्थन और खेल मंत्रालय से मदद मिलेगी।
  2. सुरक्षित वातावरण – बच्चों और युवाओं को हानिकारक गेम्स से बचाया जा सकेगा।
  3. रोजगार के अवसर – गेम डेवलपमेंट, टूर्नामेंट आयोजन, कोचिंग और स्ट्रीमिंग इंडस्ट्री को फायदा होगा।
  4. निवेश बढ़ेगा – भारत में विदेशी कंपनियाँ भी ई-स्पोर्ट्स सेक्टर में निवेश करने आएंगी।

चुनौतियाँ

  1. कार्यान्वयन की कठिनाई – इतने बड़े डिजिटल सेक्टर में हर प्लेटफॉर्म पर नजर रखना आसान नहीं होगा।
  2. रियल मनी गेमिंग इंडस्ट्री की नाराजगी – इस सेक्टर में हजारों करोड़ का कारोबार होता है जो प्रभावित होगा।
  3. ग्रामीण और छोटे शहरों में अवैध एप्स का खतरा – वहां निगरानी कठिन होगी।
  4. लत पूरी तरह खत्म करना मुश्किल – केवल कानून बनाने से गेमिंग की लत पर तुरंत असर नहीं होगा।

भारत बनाम दुनिया

  • चीन – वहाँ बच्चों के लिए गेमिंग पर सख्त समय सीमा लागू है।
  • दक्षिण कोरिया – ई-स्पोर्ट्स को दशकों पहले ही स्पोर्ट्स का दर्जा मिल चुका है और अब यह देश विश्व पावरहाउस है।
  • अमेरिका – वहाँ ई-स्पोर्ट्स टूर्नामेंट्स करोड़ों डॉलर के पुरस्कार देते हैं और खिलाड़ियों को सेलिब्रिटी जैसा दर्जा प्राप्त है।

भारत भी अब उसी राह पर कदम बढ़ा रहा है।

निष्कर्ष

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू द्वारा ऑनलाइन गेमिंग (प्रमोशन और रेग्युलेशन) बिल 2025 को मंजूरी देना भारत के डिजिटल और खेल जगत दोनों के लिए ऐतिहासिक फैसला है। एक तरफ यह युवाओं को करियर और रोजगार देगा, वहीं दूसरी ओर हानिकारक पैसों वाले गेम्स से समाज को बचाने में मदद करेगा।

अगर इसका क्रियान्वयन सही तरीके से हुआ तो आने वाले समय में भारत ई-स्पोर्ट्स की दुनिया में अगली महाशक्ति बन सकता है।

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