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| परिणीति बिश्नोई |
स्वतंत्रता दिवस पर गाँव की बेटी का गौरव: योगा से राष्ट्र सेवा तक का सफर – परिणीति बिश्नोई
“जब गाँव की बेटी को गाँव वाले ही मुख्य अतिथि बनाते हैं तो बहुत अच्छा लगता है” और जब यह सम्मान 15 अगस्त, भारत के स्वतंत्रता दिवस जैसे पवित्र दिन पर मिले, तो गर्व और खुशी दोनों कई गुना बढ़ जाते हैं।
राजस्थान की धरती पर जन्मी, गाँव की मिट्टी में पली-बढ़ी और योगा के माध्यम से अपनी पहचान बनाने वाली परिणीति बिश्नोई ने इस 15 अगस्त को अपने गाँव में इतिहास रच दिया। उन्हें स्वतंत्रता दिवस समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित किया गया और यह पल न केवल उनके लिए, बल्कि पूरे गाँव के लिए यादगार बन गया।
बचपन से देशभक्ति और योग की डोर
परिणीति का जीवन सिर्फ योगा तक सीमित नहीं रहा। छोटी उम्र से ही उनमें अनुशासन, मेहनत और देश के प्रति प्रेम की भावना रही। योगा को उन्होंने सिर्फ एक शारीरिक अभ्यास नहीं, बल्कि मानसिक और आत्मिक मजबूती का साधन माना।
15 अगस्त के मंच पर जब उन्होंने तिरंगे के रंग की पगड़ी पहनी और हाथों पर तिरंगा कड़ा बांधा, तो हर किसी की आँखों में गर्व की चमक थी।
15 अगस्त का वो खास पल
गाँव के स्कूल में आयोजित स्वतंत्रता दिवस कार्यक्रम में सुबह-सुबह तिरंगा लहराने की तैयारी चल रही थी। बच्चे तिरंगे झंडे लिए पंक्तियों में खड़े थे, महिलाएँ पारंपरिक परिधान में थीं, और ढोल-नगाड़ों की धुन पर देशभक्ति गीत गूँज रहे थे।
इसी माहौल में गाँव वालों ने अपनी ही बेटी परिणीति बिश्नोई का स्वागत फूलमालाओं, तालियों और नारों से किया।
जब उन्होंने मुख्य अतिथि के रूप में झंडारोहण किया, तो पूरे मैदान में “भारत माता की जय” और “वंदे मातरम” के स्वर गूँज उठे।
गाँव का गर्व, बेटी का सम्मान
15 अगस्त का दिन देश के हर नागरिक के लिए खास होता है, लेकिन जब गाँव की बेटी इस दिन मंच पर मुख्य अतिथि बनकर खड़ी होती है, तो वह पल गाँव की शान बन जाता है।
गाँव के बुजुर्ग कहते हैं
“जब गाँव की बेटी को गाँव वाले ही मुख्य अतिथि बनाते हैं तो बहुत अच्छा लगता है” 15 अगस्त का यह नज़ारा इस भावना का सजीव उदाहरण था।
योगा से मिली पहचान
परिणीति ने योगा के क्षेत्र में कई बड़े मंचों पर नाम कमाया है
- 100 से अधिक योगासन लगातार करके अपनी क्षमता का प्रमाण दिया।
- “वर्ल्ड फेमस टैलेंट हंट” प्रतियोगिता की विजेता रहीं।
- सोशल मीडिया पर उनके योगासन के वीडियो लाखों लोगों तक पहुँचे।उनका मानना है
प्रेरणा बन चुकी हैं
आज परिणीति न केवल गाँव, बल्कि जिले और राज्य की बेटियों के लिए प्रेरणा हैं। उनके स्वतंत्रता दिवस के भाषण में उन्होंने कहा ।अगर ठान लें, तो हर क्षेत्र मेंसकती
15 अगस्त का महत्व और उनका संदेश।
इस दिन उन्होंने बच्चों को योगा के कुछ आसान आसन सिखाए और समझाया कि कैसे स्वस्थ शरीर और मन देश की प्रगति के लिए जरूरी है।
उन्होंने सभी से अपील की कि तिरंगे की तरह तीन रंग अपने जीवन में उतारें।
- केसरिया: साहस और त्याग
- सफेद: शांति और सच्चाई
- हरा: विकास और समृद्धि
निष्कर्ष
15 अगस्त 2025 का यह दिन गाँव की यादों में हमेशा जिंदा रहेगा। यह सिर्फ स्वतंत्रता दिवस नहीं था, बल्कि गाँव की बेटी के सम्मान का दिन भी था।
परिणीति बिश्नोई की कहानी बताती है कि
- मेहनत और अनुशासन से सपने सच होते हैं।
- गाँव की बेटियाँ किसी से कम नहीं होतीं।
- और सबसे बड़ा गर्व वही है जब अपने लोग आपकी उपलब्धियों को सलाम करें।
“जब गाँव की बेटी को गाँव वाले ही मुख्य अतिथि बनाते हैं तो बहुत अच्छा लगता है” यह भावना हर उस दिल में गूंजेगी जिसने 15 अगस्त को परिणीति को मंच पर तिरंगे के साथ देखा।

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