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GTB नगर से बुरारी तक सड़कें बनीं नदियाँ |
दिल्ली में बारिश से हाहाकार: GTB नगर से बुरारी तक सड़कें बनीं नदियाँ, पूरे शहर का बुरा हाल
दिल्ली और एनसीआर में हुई लगातार भारी बारिश ने राजधानी की रफ्तार थाम दी है। जगह-जगह पानी भरने से सड़कें नदी जैसी नज़र आ रही हैं। खासकर GTB नगर से बुरारी तक का इलाका पूरी तरह जलमग्न है। सड़कें नदियों में तब्दील हो गई हैं, जिससे लोगों की ज़िंदगी अस्त-व्यस्त हो गई है।
दिल्ली का जल संकट: बारिश ने बिगाड़ा हाल
दिल्ली में मूसलाधार बारिश के चलते हालात बेहद खराब हो गए हैं। मौसम विभाग (IMD) ने राजधानी और आसपास के इलाकों के लिए ऑरेंज अलर्ट जारी किया है। यमुना नदी का जलस्तर भी लगातार बढ़ रहा है और यह खतरे के निशान से ऊपर पहुँच गया है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, नदी 205.75 मीटर तक पहुँच गई है, जबकि खतरे का स्तर 205.33 मीटर है। इससे शहर के निचले इलाकों में बाढ़ का खतरा और बढ़ गया है।
GTB नगर से बुरारी तक सड़कें बनीं नदियाँ
दिल्ली के कई हिस्सों में बारिश से हालात खराब हुए हैं, लेकिन GTB नगर से लेकर बुरारी तक का इलाका सबसे ज़्यादा प्रभावित है। यहाँ सड़कें पूरी तरह डूब चुकी हैं। भारी वाहन और टू-व्हीलर पानी में फँस रहे हैं। कई जगह तो स्थिति इतनी गंभीर है कि लोगों को पैदल निकलने में भी मुश्किल हो रही है।
स्थानीय लोगों का कहना है कि यह समस्या हर साल दोहराई जाती है। ड्रेनेज सिस्टम की कमजोरी और नालों की सफाई समय पर न होने के कारण मामूली बारिश में भी हालात बिगड़ जाते हैं।
दिल्ली का जर्जर ड्रेनेज सिस्टम
विशेषज्ञों का मानना है कि दिल्ली में जलभराव की सबसे बड़ी वजह पुराना और कमजोर ड्रेनेज सिस्टम है।
- कई नालों की क्षमता 50% तक कम हो चुकी है।
- अतिक्रमण और गाद जमने से पानी का बहाव रुक जाता है।
- शहर के कई हिस्सों में नालों का अस्तित्व ही खत्म हो चुका है।
यही वजह है कि हर बार बारिश होते ही सड़कें नदियों जैसी बहने लगती हैं।
प्रशासन की तैयारी और चुनौतियाँ
NDMC और दिल्ली सरकार ने हालात से निपटने के लिए कदम उठाने शुरू किए हैं। पुराना क़िला रोड पर हाई-कैपेसिटी पंप लगाए गए हैं और 24x7 कंट्रोल रूम भी सक्रिय किया गया है। इसके अलावा, कुशक नाला और रिंग रोड नाला की डी-सिल्टिंग के लिए करोड़ों का बजट प्रस्तावित किया गया है।
लेकिन सवाल यही है कि क्या ये कदम पर्याप्त हैं? विशेषज्ञों का कहना है कि जब तक दिल्ली के ड्रेनेज नेटवर्क का पूरा पुनर्निर्माण नहीं होगा, तब तक हर बारिश में राजधानी डूबती रहेगी।
यमुना का संकट और बढ़ता खतरा
यमुना नदी का जलस्तर खतरे की सीमा पार कर चुका है। इससे निचले इलाकों में पानी घुस गया है और कई घर जलमग्न हो गए हैं। जहरौदा कलां और गीतांजलि कॉलोनी जैसे इलाकों में लोग अपने मकानों से बाहर निकलने को मजबूर हैं। बाढ़ के पानी से बीमारियों का खतरा भी बढ़ गया है।
जनता का दर्द और सोशल मीडिया पर आवाज़
स्थानीय लोग सोशल मीडिया पर लगातार अपनी समस्याएँ साझा कर रहे हैं। कुछ ने लिखा कि सड़क पर चलना मुश्किल हो गया है, गाड़ियाँ पानी में डूब रही हैं और पैदल चलने वालों पर छींटे उड़ाए जा रहे हैं।
कई लोगों ने यह भी कहा कि इस समस्या का समाधान केवल बारिश रुकने का इंतज़ार नहीं, बल्कि मजबूत योजना और स्थायी समाधान है।
समाधान क्या हो सकते हैं?
- ड्रेनेज सिस्टम का पुनर्निर्माण – पुरानी लाइनें बदलकर आधुनिक तकनीक अपनानी होगी।
- नालों की नियमित सफाई – गाद और कचरे को हटाना ज़रूरी है।
- यमुना तट से अतिक्रमण हटाना – ताकि नदी अपनी पूरी क्षमता से बह सके।
- बाढ़ नियंत्रण उपाय – हर ज़िले में हाई-कैपेसिटी पंप और अलर्ट सिस्टम स्थापित करना।
- जनजागरूकता अभियान – लोगों को कचरा नालों में न फेंकने के लिए जागरूक करना।
दिल्ली की बारिश की समस्या सिर्फ मौसम की मार नहीं है, बल्कि यह शहर के ढांचे और जल प्रबंधन की असफलता का भी परिणाम है। जब तक ठोस कदम नहीं उठाए जाते, तब तक हर बार बारिश राजधानी की सूरत बिगाड़ती रहेगी।
GTB नगर से लेकर बुरारी तक का हाल इस समय राजधानी की सबसे बड़ी तस्वीर है सड़कें नदियों में बदल चुकी हैं, लोग परेशान हैं और सरकार के इंतज़ाम नाकाफी साबित हो रहे हैं। अगर समय रहते उपाय नहीं किए गए, तो आने वाले दिनों में स्थिति और भयावह हो सकती है।
Disclaimer:
इस समाचार में दी गई जानकारी विभिन्न स्रोतों और स्थल पर मौजूद हालात के आधार पर तैयार की गई है। इसका उद्देश्य केवल जानकारी साझा करना है। इसमें दिखाई गई तस्वीरें दिल्ली में हाल ही में हुई भारी बारिश और जलभराव की स्थिति को दर्शाते हैं। हमारा उद्देश्य किसी भी प्रकार की अफवाह या भ्रम फैलाना नहीं है। दर्शकों से निवेदन है कि वे आधिकारिक सूचना और प्रशासनिक निर्देशों का पालन करें।



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