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GST 2.0 लागू अब सिर्फ 5% और 18% टैक्स | 40% सिर्फ लक्ज़री पर |
GST 2.0: 5% और 18% स्लैब से आम जनता को राहत, 40% टैक्स सिर्फ लक्ज़री और हानिकारक वस्तुओं पर
भारत की कर व्यवस्था में ऐतिहासिक सुधार हो चुका है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में हुई 56वीं जीएसटी काउंसिल बैठक ने देश की टैक्स प्रणाली को और सरल बना दिया है। अब जीएसटी ढांचे को दो मुख्य स्लैब (5% और 18%) में बदल दिया गया है, जबकि 40% का विशेष स्लैब केवल लक्ज़री और हानिकारक (Sin Goods) वस्तुओं पर लागू होगा।
यह कदम न केवल टैक्स प्रणाली को आसान बनाएगा बल्कि आम आदमी की जेब को भी राहत देगा। आइए समझते हैं कि आखिर ये बदलाव क्या हैं और इससे कौन लाभान्वित होगा।
दो स्लैब: 5% और 18%
पहले जीएसटी चार मुख्य स्लैब में बंटा हुआ था 5%, 12%, 18% और 28%। अब इसे घटाकर सिर्फ 5% और 18% कर दिया गया है।
- 5% स्लैब: रोज़मर्रा के सामान जैसे साबुन, शैम्पू, टूथपेस्ट, बर्तन, कॉफी, स्टेशनरी और कई कृषि उपकरणों पर लागू होगा।
- 18% स्लैब: टीवी, एसी, वॉशिंग मशीन, डिशवॉशर, छोटी कारें (1200cc तक पेट्रोल और 1500cc तक डीज़ल इंजन), और 350cc तक की मोटरसाइकिलों पर लगेगा।
इस बदलाव से न केवल छोटे व्यापारियों के लिए जीएसटी अनुपालन आसान होगा बल्कि उपभोक्ताओं को भी कीमतों में राहत मिलेगी।
40% स्लैब: सिर्फ लक्ज़री और हानिकारक वस्तुओं पर
कई लोगों को भ्रम था कि 40% जीएसटी हर कार पर लागू होगा। लेकिन हकीकत यह है कि यह स्लैब केवल चुनिंदा वस्तुओं पर लागू किया गया है।
- बड़ी कारें और SUV: 1200cc से ज्यादा इंजन वाली पेट्रोल कारें, 1500cc से ज्यादा इंजन वाली डीज़ल कारें, 4 मीटर से लंबी गाड़ियां अब 40% स्लैब में आएंगी।
- मोटरसाइकिलें: 350cc से ऊपर की बाइक्स (जैसे प्रीमियम और सुपरबाइक मॉडल)।
- हानिकारक वस्तुएँ (Sin Goods): सिगरेट, गुटखा, पान मसाला, ज़र्दा, तंबाकू उत्पाद।
- लक्ज़री आइटम: यॉट्स, प्राइवेट जेट, प्रीमियम ड्रिंक्स और कार्बोनेटेड शुगर ड्रिंक्स।
यानी आम लोगों द्वारा खरीदी जाने वाली छोटी और मिड-रेंज कारें 18% पर ही रहेंगी।
कब से लागू होगा ?
नए जीएसटी स्लैब 22 सितंबर 2025 से लागू हो गए हैं। इसे नवरात्रि के पहले दिन लागू करना सरकार का एक बड़ा रणनीतिक कदम था, ताकि त्योहारी सीजन में उपभोक्ताओं को राहत का फायदा मिल सके।
आम जनता पर असर
- कीमतें घटेंगी: छोटे इलेक्ट्रॉनिक्स, घरेलू सामान और कई FMCG प्रोडक्ट्स अब सस्ते हो गए हैं।
- खरीदारी बढ़ेगी: जेब में ज्यादा पैसा बचेगा तो मांग भी बढ़ेगी।
- ऑटो सेक्टर में राहत और चुनौती दोनों: छोटी कारें सस्ती होंगी, लेकिन बड़ी कारों और लक्ज़री वाहनों की कीमतें बढ़ेंगी।
- स्वास्थ्य पर असर: सरकार का इरादा है कि गुटखा, पान मसाला और तंबाकू जैसी हानिकारक चीजें महंगी हों ताकि इनकी खपत घटे।
राज्यों और सरकार के सामने चुनौतियाँ
हालांकि यह सुधार जनता को राहत देने वाला है, लेकिन इससे सरकार के राजस्व पर दबाव पड़ सकता है। कई राज्यों ने पहले ही चिंता जताई है कि टैक्स स्लैब घटने से उनकी कमाई कम होगी। इसके लिए केंद्र सरकार को मुआवजा देना पड़ सकता है।
निर्मला सीतारमण की छवि
इन सुधारों ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की छवि को और मजबूत किया है।
- आयकर में राहत देकर (12 लाख तक टैक्स फ्री) उन्होंने मध्यम वर्ग का विश्वास जीता।
- अब जीएसटी को आसान बनाकर वे छोटे व्यापारियों और उपभोक्ताओं दोनों के लिए “सकारात्मक बदलाव” की प्रतीक बन गई हैं।
लोग सोशल मीडिया पर उन्हें भारत की अब तक की “सबसे बेहतरीन वित्त मंत्री” कह रहे हैं।
जीएसटी 2.0 भारत की टैक्स प्रणाली का सबसे बड़ा सुधार है। दो स्लैब (5% और 18%) से पारदर्शिता और सरलता बढ़ेगी। वहीं 40% स्लैब यह संदेश देता है कि आवश्यक और सामान्य वस्तुओं पर राहत होगी, जबकि विलासिता और हानिकारक वस्तुओं पर सख्ती बरकरार रहेगी।
आने वाले महीनों में यह साफ हो जाएगा कि यह सुधार किस हद तक उपभोक्ता मांग और अर्थव्यवस्था को नई दिशा देता है। लेकिन इतना तय है कि यह कदम भारत के कर सुधार इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में लिखा जाएगा।
निर्मला सीतारमण का यह कदम दिखाता है कि सही नीतियों से टैक्स प्रणाली को न केवल सरल बनाया जा सकता है, बल्कि जनता को सीधा लाभ भी पहुँचाया जा सकता है।

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