उत्तराखंड में आज भी गर्भवती महिलाओं को डंडी-कंडी पर निर्भर रहना पड़ता है
उत्तराखंड के टिहरी गढ़वाल के नौडू गांव में गर्भवती महिला को प्रसव के लिए 10 किलोमीटर तक डंडी-कंडी पर ले जाना पड़ा। सड़क और स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी ग्रामीणों के लिए गंभीर चुनौती बन गई है। जानें कैसे आज भी राज्य के दूरदराज़ क्षेत्रों में मूलभूत स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति चिंताजनक है।
टिहरी गढ़वाल। उत्तराखंड में कई ऐसे क्षेत्र हैं जहां आज भी गर्भवती महिलाओं और ग्रामीणों को स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए लंबी और जोखिम भरी यात्रा करनी पड़ती है। टिहरी गढ़वाल के पट्टी दोगी के नौडू गांव से हाल ही में ऐसी ही दर्दनाक घटना सामने आई है।
स्थानीय लोगों के अनुसार, गांव की महिलाएं एक गर्भवती महिला को प्रसव के लिए अस्पताल ले जा रही थीं। लेकिन सड़क की अनुपलब्धता और कठिन पहाड़ी रास्तों के कारण उन्हें लगभग 10 किलोमीटर तक डंडी-कंडी के सहारे यात्रा करनी पड़ी। बीच रास्ते में महिला की प्रसव पीड़ा बढ़ने के कारण उसे वहीं जन्म देना पड़ा।
स्थानीय निवासी बताते हैं कि नौडू और आसपास के गांवों में स्वास्थ्य केंद्र तक पहुंचना बेहद मुश्किल है। न केवल गर्भवती महिलाओं, बल्कि बुजुर्ग और बीमार लोग भी ऐसे जोखिम भरे रास्तों पर निर्भर रहते हैं। यह घटना राज्य की स्वास्थ्य व्यवस्था और ग्रामीण क्षेत्रों में मौजूदा ढांचागत कमियों को उजागर करती है।
उत्तराखंड स्थापना दिवस पर इस तस्वीर को देखकर लोगों का मन द्रवित हो गया। सोशल मीडिया पर यह तस्वीर तेजी से वायरल हो रही है और ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य एवं सड़क सुविधाओं में सुधार की मांग उठ रही है। विशेषज्ञों का कहना है कि भले ही राज्य पर्यटन और हाइड्रोपावर के क्षेत्र में आगे बढ़ रहा हो, लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में बुनियादी स्वास्थ्य और इमरजेंसी सेवाओं का अभाव गंभीर चुनौती है।
स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने स्वीकार किया है कि दूरदराज़ क्षेत्रों में सड़क और स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी चिंता का विषय है। उन्होंने बताया कि सरकार इन क्षेत्रों में हेल्थ क्लीनिक, मोबाइल मेडिकल यूनिट और सड़क निर्माण परियोजनाओं को तेज करने की योजना बना रही है। लेकिन फिलहाल ग्रामीण समुदाय को अपनी मेहनत और साधनों पर ही निर्भर रहना पड़ता है।
स्थानीय लोग भी इस मुद्दे को लेकर आवाज उठा रहे हैं। उनका कहना है कि अगर सरकार समय पर कदम नहीं उठाती है तो ग्रामीण महिलाओं और बच्चों की जान खतरे में पड़ सकती है। पंचायत प्रतिनिधियों का कहना है कि सड़क और स्वास्थ्य केंद्र तक पहुंच सुनिश्चित करना राज्य सरकार की प्राथमिकता होनी चाहिए।
नौडू गांव की यह घटना सिर्फ स्थानीय ही नहीं, बल्कि पूरे उत्तराखंड के उन दूरदराज़ इलाकों की वास्तविक स्थिति को दर्शाती है, जहां आधुनिक सुविधाओं का लाभ ग्रामीणों तक नहीं पहुंचा है। विशेषज्ञों के अनुसार, राज्य का सच्चा विकास तभी होगा जब यह सुविधाएँ सबसे दूरदराज़ और कमजोर वर्गों तक पहुंचे।
इस घटना ने राज्य सरकार और समाज दोनों के सामने यह सवाल खड़ा कर दिया है कि 21वीं सदी में भी ऐसे क्षेत्रों में स्वास्थ्य और सड़क जैसी मूलभूत सुविधाएँ क्यों नहीं हैं। ग्रामीण जीवन में अभी भी डंडी-कंडी पर निर्भर रहना मजबूरी है, और इसे जल्द से जल्द बदलने की आवश्यकता हैं

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