“टैरिफ के बाद ट्रंप के चार कॉल्स, लेकिन मोदी ने जवाब नहीं दिया – जर्मन अखबार ने क्या बताया हमें भारत-अमेरिका रिश्तों की नई दिशा?
![]() |
भारत-अमेरिका रिश्तों में नया मोड़ |
जर्मन अखबार FAZ का दावा – ट्रंप ने मोदी को 4 बार फोन किया, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला। टैरिफ विवाद के बीच भारत-अमेरिका रिश्तों का नया मोड़ क्या बताता है?
अंतरराष्ट्रीय राजनीति में ऐसे ही क्षण बनते हैं जो अचानक चर्चा का विषय बन जाते हैं। हाल ही में जर्मन अखबार Frankfurter Allgemeine Zeitung (FAZ) ने एक ऐसा ही रोचक और क़ानूनी रूप से विवादास्पद दांव खेला है अमेरिकी पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने भारत पर भारी टैरिफ लगाने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चार बार फोन किया, लेकिन मोदी ने एक भी कॉल रिसीव नहीं किया, यह दावा FAZ ने किया है।
समाचार का मूल – क्या हुआ और कब?
- रिपोर्ट के मुताबिक, ट्रंप ने हाल के हफ़्तों में जब अमेरिका ने भारत पर कुल 50% टैरिफ (25% + अतिरिक्त 25%) लागू किया पीएम मोदी को कम से कम चार बार फोन किया।
- FAZ ने इस घटना पर शीर्षक दिया था: “Trump calls, but Modi doesn’t answer”।
- रिपोर्ट बताती है कि मोदी का यह रवैया “गुस्सा और सतर्कता” दोनों का प्रतिबिंब है।
भारत की प्रतिक्रिया और ऐतिहासिक संदर्भ
- हालांकि खबर में सीधे तौर पर किसी अधिकारिक बयान का हवाला नहीं है, लेकिन सरकारी सूत्रों ने इसे खारिज भी किया है।
- PM मोदी ने हाल ही में ट्रंप द्वारा भारत को “dead economy” कहे जाने के जवाब में 10 अगस्त को कहा था कि भारत विश्व की शीर्ष तीन अर्थव्यवस्थाओं में शामिल होने की ओर अग्रसर है।
- FAZ ने यह भी बताया कि ऐसे दौर पहले भी आए हैं जहाँ ट्रंप ने अन्य देशों जैसे वियतनाम से उसी तरीके से समझौतों पर घोषणा की थी, लेकिन मोदी इस ‘जाल’ में नहीं फंसे।
- विशेषज्ञों के मुताबिक अमेरिका की इंडो-पैसिफिक स्ट्रेटेजी अब भारत पर असर डालती नहीं दिख रही
ट्रेड, टैरिफ और रणनीतिक पहलू
- अमेरिका की ओर से लगाए गए 50% टैरिफ ने भारत के निर्यात—खासतौर से टेक्सटाइल, ज्वेलरी, ऑटो पार्ट्स, और हैंडीक्राफ्ट पर गंभीर असर डालने की संभावना जताई गई है।
- ट्रंप की ट्रेड रणनीति बड़े दबाव से बातचीत करवाने की रही है; लेकिन भारत ने साफ संकेत दिया कि वह इस दबाव की राजनीति का हिस्सा नहीं बनेगा
इस पूरी घटना का महत्व क्यों है?
- संबंधों का बदलाव: यह संकेत करता है कि 25 वर्षों से बेहतर होते रहे भारत–अमेरिका संबंध अब तनावपूर्ण मोड़ पर हैं।
- भारत की रणनीतिक स्वतंत्रता: मोदी की यह प्रतिक्रिया स्पष्ट रूप से यह दर्शाती है कि भारत अब किसी भी तरह के दबाव में नहीं झुकने को तैयार।
- वैश्विक भूमिका: भारत इधर चीन और रूस की ओर संतुलन बना रहा है यह टारगेटेड रणनीतिक बदलाव हो सकता है।
- मीडिया और इतिहास: FAZ जैसी प्रतिष्ठित मीडिया संस्था द्वारा यह दावा सार्वजनिक होना वैश्विक रणनीतिक परिदृश्य में भारत की स्थिति को नया आकार दे सकता है।
आगे का रास्ता – भारत-अमेरिका रिश्तों का नया अध्याय
FAZ की यह रिपोर्ट चाहे पूरी तरह सही हो या इसमें अतिशयोक्ति हो, लेकिन एक बात साफ है भारत और अमेरिका के रिश्तों में अब पुराने दिनों जैसा सहज तालमेल नहीं बचा है। ट्रंप का टैरिफ निर्णय और उसके बाद भारत का शांत और सख़्त रुख़ बताता है कि नई दिल्ली अब “नो-नॉनसेंस” कूटनीति अपना रही है।
आने वाले महीनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि
- क्या ट्रंप प्रशासन बातचीत को फिर से पटरी पर लाने में सफल होगा?
- या भारत अपने पारंपरिक साझेदारों (रूस, चीन और यूरोपीय देशों) के साथ वैकल्पिक आर्थिक रास्ते तलाशेगा?
- और सबसे बड़ा सवाल: क्या यह घटनाक्रम आने वाले समय में भारत-अमेरिका संबंधों का टर्निंग प्वाइंट साबित होगा?
यही कारण है कि यह “चार अनसुने कॉल” केवल एक खबर नहीं, बल्कि एक नई विश्व राजनीति का संकेत बन चुके हैं।

0 Comments