रामनगर, नैनीताल में करंट हादसा टीवी का तार लगाते ही महिला की मौत, मासूम बच्चों ने अपनी माँ को खो दिया। गाँव में मातम, बिजली सुरक्षा पर सवाल।
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रामनगर में मासूम बच्चों ने अपनी माँ को खो दिया |
दुखद हादसा माँ का बच्चों के सामने यूँ बिछुड़ जाना, रामनगर में करंट लगने से महिला की मौत
रामनगर (नैनीताल) :
कभी-कभी ज़िन्दगी इतनी निर्दयी हो जाती है कि एक पल में सब कुछ बदल जाता है। नैनीताल जिले के रामनगर के पीरूमदारा क्षेत्र के भवानीपुर खुल्बे गाँव में हुआ यह हादसा हर किसी की आंखों को नम कर गया। एक खुशहाल परिवार, जिसमें पति, पत्नी और दो छोटे बच्चे थे, अचानक मातम में बदल गया।
इस परिवार की रीढ़ मानी जाने वाली लक्ष्मी रावत (उम्र लगभग 35 वर्ष) की मौत ने पति और बच्चों की ज़िन्दगी से सारी खुशियाँ छीन लीं। बारिश के दिनों में जब स्कूल की छुट्टियाँ चल रही थीं, घर में बच्चे टीवी देखना चाहते थे। बच्चों की छोटी-सी मासूम इच्छा माँ के लिए जानलेवा साबित हो गई।
हादसा कैसे हुआ?
बरसात के मौसम में स्कूल बंद थे। 11 वर्षीय वीरू और 9 वर्षीय रोहित ने माँ से टीवी चलाने को कहा। घर लौटी लक्ष्मी जैसे ही स्विच में टीवी का तार लगाने लगीं, अचानक जोरदार करंट लग गया। देखते ही देखते वह झुलसकर ज़मीन पर गिर पड़ीं।
बच्चों की मासूम आँखों के सामने उनकी माँ तड़प रही थीं। घबराए बच्चे दौड़ते हुए पिता गोविंद रावत को बुलाने पहुंचे। परिवार ने आनन-फानन में लक्ष्मी को नज़दीकी अस्पताल पहुँचाया, लेकिन डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।
मासूम बच्चों की आँखों के सामने टूट गई दुनिया
आप सोचिए… 11 और 9 साल के दो छोटे बच्चे, जिन्होंने अभी ज़िन्दगी जीना शुरू ही किया था, उनकी आँखों के सामने माँ ने अंतिम सांस ली। बच्चों के रोते-बिलखते स्वर गाँवभर में गूंज उठे। पूरे इलाके में मातम छा गया।
लोग कहते हैं कि “एक महिला परिवार की रीढ़ होती है” और जब वही अचानक चला जाए, तो पूरा घर बिखर जाता है। गोविंद रावत के लिए यह ग़म का पहाड़ है एक तरफ पत्नी का दर्दनाक बिछुड़ना और दूसरी तरफ दो छोटे बच्चों का भविष्य।
तकनीकी लापरवाही बनी जानलेवा
यह हादसा केवल एक परिवार का नहीं, बल्कि समाज के लिए भी एक सबक है।
रामनगर क्षेत्र में अक्सर घरों में सुरक्षा अर्थिंग (Earthing) का प्रावधान नहीं किया जाता। यही वजह है कि बिजली का झटका जानलेवा हो जाता है। विशेषज्ञों का कहना है कि अगर घर में सही तरह से अर्थिंग की गई होती, तो शायद लक्ष्मी की जान बच सकती थी।
आज भी कई ग्रामीण और छोटे कस्बों में लोग बिजली की बुनियादी सुरक्षा को हल्के में लेते हैं। लेकिन एक छोटी-सी लापरवाही पूरे परिवार की खुशियाँ निगल सकती है।
गाँव में मातम, परिवार पर ग़म का साया
भवानीपुर खुल्बे गाँव में इस घटना के बाद शोक की लहर दौड़ गई। लोग परिवार को ढांढस बंधाने पहुँचे, लेकिन ऐसी पीड़ा को कोई शब्द कम नहीं कर सकते। हर किसी के मन में यही सवाल था कि आखिर मासूम बच्चों का भविष्य अब कैसे सँभलेगा।
गाँव के बुजुर्गों का कहना है कि लक्ष्मी जैसी गृहिणी पूरे परिवार की धुरी होती है रसोई से लेकर बच्चों की देखभाल तक सबकुछ उसी के इर्द-गिर्द घूमता है। उनके जाने के बाद परिवार की खुशियाँ जैसे हमेशा के लिए खत्म हो गईं।
दिल को झकझोर देने वाली घटना
भवानीपुर खुल्बे गाँव में हुआ यह हादसा हर किसी के दिल को गहरे तक झकझोर गया है। दो मासूम बच्चों ने अपनी आँखों के सामने माँ को हमेशा के लिए खो दिया, एक पति ने अपना जीवनसाथी खो दिया।
यह सिर्फ़ एक परिवार का दर्द नहीं, बल्कि पूरे समाज की जिम्मेदारी है कि हम ऐसी घटनाओं से सीख लें। बिजली की सुरक्षा और घर की बुनियादी व्यवस्थाओं को लेकर हमें जागरूक होना होगा।
गाँव के लोग कह रहे थे “लक्ष्मी भले ही इस दुनिया से चली गईं, लेकिन उनकी कमी हमेशा खलेगी। उनके बच्चों की मासूम निगाहें अब हर दिन अपनी माँ को ढूंढेंगी।”
आज यह हादसा हमें याद दिलाता है कि जिंदगी कितनी नाज़ुक है। एक पल की लापरवाही, पूरी उम्र का ग़म बन सकती है।

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