ओखलकांडा ब्लॉक के दिगोली गाँव में बदहाल रास्ते: ग्रामीणों की जान जोखिम में, प्रशासन मौन

“उत्तराखंड के नैनीताल ज़िले के ओखलकांडा ब्लॉक के दिगोली गाँव में टूटी-फूटी और खतरनाक पगडंडियों से ग्रामीणों की जान जोखिम में है। बरसात में कीचड़ और पत्थरों से रास्ते जानलेवा बन जाते हैं। ग्रामीण प्रशासन से पक्के रास्ते और मरम्मत की मांग कर रहे हैं।”

दिगोली गाँव से उपर सड़क की ओर जाने वाला रास्ता जो बदहाल स्तति में दिख रहा हैं 

दिगोली, ओखलकांडा (उत्तराखंड) 

उत्तराखंड के नैनीताल ज़िले के धारी तहसील के अंतर्गत आने वाले ओखलकांडा ब्लॉक का दिगोली गाँव प्राकृतिक सुंदरता के लिए जाना जाता है, लेकिन यहाँ के लोग एक ऐसी समस्या से जूझ रहे हैं जो उनकी रोज़मर्रा की ज़िंदगी को मुश्किल बना रही है टूटे-फूटे, कीचड़ और पत्थरों से भरे खतरनाक रास्ते।

गाँव के मुख्य रास्ते जो बदहाल स्तति में है 

गाँव में प्रवेश करने के लिए जो मुख्य पगडंडियाँ और रास्ते हैं, वे इतने खराब हो चुके हैं कि बरसात के मौसम में यह जानलेवा साबित होते हैं। बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक, सभी को रोज़ इन दुर्गम रास्तों से होकर गुजरना पड़ता है।

तस्वीरों में जमीनी हकीकत

दिगोली गाँव के लोगों ने जो तस्वीरें साझा कीं, उनमें साफ़ दिख रहा है:

  • बरसात में रास्ते बहकर गहरे गड्ढों में बदल जाते हैं।
  • मिट्टी बहने से जगह-जगह नुकीले पत्थर निकल आते हैं, जिन पर चलना बेहद कठिन है।
  • पगडंडियाँ इतनी संकरी हैं कि किनारे से फिसलने पर सीधा ढलान में गिरने का खतरा है।
  • कीचड़ और घास ने रास्तों को ढक दिया है, जिससे फिसलने के मामले आम हो गए हैं।
गाँव के रास्ते कितनी खराब स्तति में है 


गाँव वालों की नाराज़गी

गाँव के एक बुजुर्ग निवासी ने कहा:

“जहाँ कोई नहीं रहता, वहाँ भी लाखों रुपये के पक्के रास्ते बना दिए जाते हैं। लेकिन हमारे गाँव, जहाँ रोज़ाना लोग गुजरते हैं, उसे पूरी तरह नज़रअंदाज़ कर दिया गया है।”


दिगोली गाँव में रात को चलना बहुत मुश्किल काम है 


लोगों का कहना है कि सरकारी योजनाएँ सिर्फ कागज़ों में पूरी हो जाती हैं और जमीनी स्तर पर उनका कोई असर नहीं दिखता।

जमीनी हकीकत काफी खराब है दिगोली गाँव की 


बरसात में दुगना संकट

ओखलकांडा ब्लॉक का यह इलाका पहाड़ी और भूस्खलन प्रभावित है। बरसात के दिनों में:

  • रास्तों पर पानी बहने से मिट्टी धंस जाती है।
  • ढलान वाले हिस्सों में मिट्टी और पत्थर खिसककर रास्ता रोक देते हैं।
  • स्कूली बच्चों और बुजुर्गों के लिए निकलना बहुत जोखिम भरा हो जाता है।
गाँव के मुख्य रास्ते 


जीवन पर पड़ रहा असर

  1. शिक्षा — कई बार बच्चे बारिश या रास्ते की खराब स्थिति के कारण स्कूल नहीं जा पाते।
  2. स्वास्थ्य — बीमार या घायल व्यक्ति को अस्पताल तक पहुँचाना बेहद कठिन हो जाता है।
  3. आर्थिक नुकसान — ग्रामीण बाजार तक सामान नहीं पहुँचा पाते, जिससे रोज़मर्रा की जरूरतें महंगी पड़ती हैं।
काफी दुखद स्तति में ये गाँव 


सरकार और प्रशासन के लिए सवाल

  • क्या दिगोली गाँव के लोगों को भी पक्के और सुरक्षित रास्तों का हक़ नहीं?
  • ओखलकांडा ब्लॉक में विकास कार्यों की प्राथमिकता सूची में यह गाँव क्यों शामिल नहीं?
  • पंचायत और ब्लॉक प्रशासन ने आखिरी बार कब इस इलाके का निरीक्षण किया?
खराब रास्ते जो तस्वीरे बया कर रही है 


संभावित समाधान

  • सीमेंट-कंक्रीट के पक्के रास्ते बनाना।
  • बरसात के पानी की निकासी के लिए साइड ड्रेन तैयार करना।
  • मनरेगा या अन्य योजनाओं के तहत गाँव के लोगों को ही निर्माण में रोजगार देना।
  • हर साल बरसात से पहले रास्तों की मरम्मत और साफ-सफाई करना।
गाँव के रास्ते 

गाँव वालों की अपील

दिगोली गाँव के लोग जिला प्रशासन, ब्लॉक कार्यालय और राज्य सरकार से यह मांग कर रहे हैं:


“हमें सिर्फ सुरक्षित रास्ते चाहिए। हम अपने बच्चों और बुजुर्गों की सुरक्षा के लिए आवाज़ उठा रहे हैं।”



डिस्क्लेमर: यह रिपोर्ट स्थानीय ग्रामीणों द्वारा साझा की गई जानकारी, स्थल निरीक्षण और उपलब्ध तस्वीरों के आधार पर तैयार की गई है। इसका उद्देश्य जनहित में समस्या को उजागर करना है। इसमें व्यक्त विचार और अनुभव संबंधित ग्रामीणों के हैं, जिनकी पुष्टि के लिए संबंधित प्रशासनिक विभागों से आधिकारिक प्रतिक्रिया प्राप्त करना आवश्यक है।

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