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| बुराड़ी का लेबर चौक |
बुराड़ी में दो साल से अधूरा सीवर कार्य, ट्रैफिक जाम और धूल-मिट्टी से आमजन परेशान
📍 बुराड़ी, दिल्ली
दिल्ली के बुराड़ी इलाके के लोगों की मुश्किलें पिछले दो साल से लगातार बढ़ रही हैं। यहां पानी और सीवर लाइन बिछाने का काम लगभग दो साल पहले शुरू हुआ था, लेकिन आज तक पूरा नहीं हो सका। नतीजा यह है कि सड़कें खुदी पड़ी हैं, जगह-जगह नीले रंग की बैरिकेडिंग लगी हुई है और रोज़ाना लंबे ट्रैफिक जाम का सामना करना पड़ रहा है।
सुबह और शाम की ‘जाम परीक्षा’
यह समस्या खासकर सुबह 8 से 10 बजे और शाम 5 से 8 बजे के बीच चरम पर होती है।
- सुबह, जब स्कूल के बच्चे बस या रिक्शा से जा रहे होते हैं, ट्रैफिक जाम के कारण अक्सर वे देर से पहुंचते हैं।
- ऑफिस जाने वाले कर्मचारी समय पर काम पर नहीं पहुंच पाते, जिससे उनकी पेशेवर जिंदगी पर असर पड़ता है।
- सबसे गंभीर बात यह है कि मरीज और एंबुलेंस को भी जाम में फंसना पड़ता है, जिससे इलाज में देरी होती है।
स्थानीय निवासी अनिल कुमार कहते हैं,
“दो साल से एक ही जगह काम चल रहा है, लेकिन कोई प्रगति नज़र नहीं आती। यहां कोई ट्रैफिक पुलिस वाला तैनात नहीं होता। अगर कोई इमरजेंसी हो जाए तो हम खुद भी कुछ नहीं कर सकते।”
प्रशासन और ट्रैफिक व्यवस्था पर सवाल
इलाके के लोगों का आरोप है कि न तो सिविल एजेंसी समयबद्ध तरीके से काम कर रही है और न ही दिल्ली ट्रैफिक पुलिस ने इस समस्या को गंभीरता से लिया है।
- काम के दौरान वैकल्पिक मार्ग (डाइवर्जन) की व्यवस्था नहीं की गई।
- ट्रैफिक को संभालने के लिए स्थायी पुलिस चौकी या जवान तैनात नहीं किए गए।
- खुदाई के बाद सड़क पर धूल और कीचड़ रह जाती है, जिसे समय-समय पर साफ नहीं किया जाता।
स्वास्थ्य पर भी असर
लगातार धूल और मिट्टी के कारण कई लोगों को सांस, एलर्जी और आंखों में जलन जैसी समस्याएं हो रही हैं।
स्थानीय दुकानदार रीता शर्मा बताती हैं,
“दुकानों में हर समय धूल जमा रहती है। हमें दिन में तीन-चार बार सफाई करनी पड़ती है। ग्राहक भी कम आने लगे हैं क्योंकि उन्हें पार्किंग और जाम की दिक्कत होती है।”
बच्चों और बुजुर्गों पर दिक्कतें
- स्कूल बसें समय पर बच्चों को नहीं ले पातीं, जिससे पढ़ाई पर असर पड़ रहा है।
- बुजुर्ग, जिन्हें नियमित जांच या दवा लेने अस्पताल जाना होता है, वे जाम में लंबे समय तक फंसकर थक जाते हैं।
काम कब होगा पूरा?
स्थानीय निवासियों का कहना है कि शुरुआत में उन्हें बताया गया था कि सीवर और पानी की लाइन का काम 6–8 महीने में पूरा हो जाएगा, लेकिन अब दो साल बीतने के बाद भी कोई स्पष्ट समयसीमा नहीं बताई जा रही है।
लोगों को डर है कि यदि काम इसी गति से चला, तो यह परियोजना और कई महीनों तक लटक सकती है।
लोगों की मांग
- काम की गति तेज की जाए और समय सीमा तय हो।
- जब तक काम पूरा न हो, ट्रैफिक पुलिस तैनात की जाए।
- सड़क पर जमा धूल और कीचड़ की नियमित सफाई हो।
- लोगों की सुविधा के लिए वैकल्पिक मार्ग बनाए जाएं
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| बुराड़ी में जाम से परेशान लोग |
निष्कर्ष
बुराड़ी का यह मामला दिल्ली में विकास कार्यों की धीमी रफ्तार और प्रशासनिक लापरवाही का एक और उदाहरण है। विकास कार्य ज़रूरी हैं, लेकिन उनकी धीमी गति और बिना योजना के प्रबंधन से जनता को होने वाली तकलीफ़ पर भी ध्यान देना उतना ही ज़रूरी है। यहां के लोग अब बस यही चाहते हैं कि काम जल्दी पूरा हो, ताकि उन्हें रोज़ाना की इस जाम की परेशानी और धूल-मिट्टी के कहर से राहत मिल सके।


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