भारत के उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफा दे चुके जगदीप धनखड़ को लेकर अब एक और सनसनीखेज जानकारी सामने आई है। सूत्रों के अनुसार, इस्तीफे से ठीक एक दिन पहले एक गुप्त बैठक हुई थी जिसमें कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश प्रमुख भूमिका में थे। यही नहीं, इस मुलाक़ात के बाद अचानक घटनाक्रम बदला और धनखड़ ने अपना इस्तीफा राष्ट्रपति को भेज दिया।
अब राजनीतिक गलियारों में चर्चा तेज है — क्या धनखड़ के कंधे पर कांग्रेस ने अपने सियासी तीर चलाए?
🕵️♂️ आखिरी मीटिंग में क्या हुआ था?
सूत्रों के मुताबिक, यह मीटिंग दिल्ली के लुटियंस जोन में एक निजी बंगलो में हुई थी। वहां धनखड़, जयराम रमेश, और दो अन्य वरिष्ठ नेता मौजूद थे। बातचीत का विषय था — “संवैधानिक संस्थाओं की स्वायत्तता और न्यायपालिका से टकराव।” मीटिंग के बाद धनखड़ का रुख अचानक बदला और उन्होंने अगले ही दिन नैतिक आधार पर इस्तीफा दे दिया।
🔍 क्या कांग्रेस ने बनाया राजनीतिक मोहरा?
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि कांग्रेस इस वक्त न्यायपालिका और संवैधानिक मुद्दों को लेकर सरकार पर हमलावर है। ऐसे में धनखड़ जैसे संवैधानिक पद पर बैठे व्यक्ति का इस्तीफा कांग्रेस के नैरेटिव को मजबूती देता है।
कांग्रेस खेमे में इस घटनाक्रम को “साइलेंट सर्जिकल स्ट्राइक” माना जा रहा है, जबकि भाजपा के भीतर इसे “विश्वासघात” के रूप में देखा जा रहा है।
🗨️ कांग्रेस की प्रतिक्रिया
जब जयराम रमेश से इस गुप्त बैठक के बारे में पूछा गया तो उन्होंने मुस्कराते हुए कहा:
“जो भी हुआ, वह देश की लोकतांत्रिक संस्थाओं के हित में हुआ है।”
हालांकि उन्होंने किसी भी बैठक की पुष्टि या खंडन नहीं किया।
⚖️ भाजपा में हलचल
भाजपा नेताओं ने इस पर कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया, लेकिन अंदरूनी सूत्रों का कहना है कि पार्टी नेतृत्व धनखड़ के अचानक बदले रवैये से चकित है। कुछ नेताओं ने इसे “कांग्रेस की चालाकी” और “धनखड़ की चुप सहमति” करार दिया है।
🔚 Garun News निष्कर्ष:
धनखड़ का इस्तीफा अब सिर्फ संवैधानिक या नैतिक मुद्दा नहीं रह गया है — यह एक राजनीतिक शतरंज का हिस्सा बन चुका है।
क्या वाकई कांग्रेस ने उन्हें एक रणनीतिक मोहरे की तरह इस्तेमाल किया? या धनखड़ ने स्वविवेक से यह फैसला लिया?
सच चाहे जो भी हो, इस “आखिरी मीटिंग” ने राजनीति का पारा ज़रूर चढ़ा दिया है।

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