पटना, 23 जुलाई 2025 — बिहार विधानसभा में बुधवार को उस समय तनावपूर्ण माहौल बन गया, जब एक विधायक द्वारा "बाप" शब्द के इस्तेमाल पर सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच तीखी बहस छिड़ गई। मामला इतना बढ़ गया कि विधानसभा अध्यक्ष (स्पीकर) नाराज़ होकर खुद सदन से बाहर चले गए।
क्या था पूरा मामला?
सदन में किसी विधेयक पर चर्चा के दौरान विपक्षी दल के एक विधायक ने अपने भाषण में "बाप" शब्द का प्रयोग किया। हालांकि यह शब्द सीधे किसी को अपमानित करने के लिए नहीं था, लेकिन सत्ता पक्ष के कुछ विधायकों ने इसे आपत्तिजनक मानते हुए कड़ी आपत्ति जताई।
विवाद बढ़ते देख स्पीकर ने विधायकों को संयम बरतने की अपील की और कहा कि ऐसे शब्द सदन की गरिमा के खिलाफ हैं। लेकिन दोनों पक्षों में तीखी नोकझोंक के बाद स्थिति बिगड़ती गई।
स्पीकर का तीखा रुख
स्पीकर ने कई बार सदन को शांत करने की कोशिश की, लेकिन जब माहौल नहीं संभला, तो उन्होंने नाराज़गी जताते हुए कार्यवाही स्थगित कर दी और स्वयं सदन से बाहर चले गए। उनका यह कदम सभी को चौंका गया, क्योंकि आमतौर पर स्पीकर सदन को नियंत्रित करने की भूमिका निभाते हैं।
राजनीतिक प्रतिक्रियाएं
इस घटना पर नेताओं की अलग-अलग प्रतिक्रियाएं सामने आई हैं:
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विपक्ष का कहना है कि "बाप" कोई असंसदीय शब्द नहीं है और इसे जानबूझकर मुद्दा बनाया गया।
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वहीं, सत्ता पक्ष का तर्क है कि किसी भी संदिग्ध या दोहरे अर्थ वाले शब्दों से बचना चाहिए, खासकर जब वह किसी के सम्मान को ठेस पहुंचा सकता हो।
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राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इस विवाद का असली कारण शब्द नहीं, बल्कि दोनों पक्षों के बीच बढ़ता राजनीतिक तनाव है।
क्या कहता है विधानसभा का नियम?
भारतीय विधानसभाओं में "असंसदीय शब्दों" की एक सूची होती है, जिसमें ऐसे शब्द शामिल होते हैं जो अपमानजनक, भड़काऊ या अशोभनीय माने जाते हैं। हालांकि "बाप" शब्द सीधे तौर पर प्रतिबंधित नहीं है, लेकिन उसके प्रयोग का संदर्भ मायने रखता है।
निष्कर्ष
यह घटना न केवल भाषा की मर्यादा पर सवाल खड़ा करती है, बल्कि इस बात की भी याद दिलाती है कि लोकतांत्रिक संस्थाओं में संवाद का स्तर कैसा होना चाहिए। उम्मीद की जा रही है कि आने वाले दिनों में सदन में अनुशासन और गरिमा बनाए रखने के लिए सख्त कदम उठाए जाएंगे।

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